अयोध्या फैसले के बाद अब बाबरी विध्वंस मामले की बारी, अप्रैल 2020 तक आ सकता है फैसला

By भाषा | Published: November 10, 2019 12:29 AM2019-11-10T00:29:06+5:302019-11-10T00:29:06+5:30

पांच अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर, 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और यह तारीख (इस मामले में) आखिरी कार्य दिवस होगा।

After Ayodhya verdict, now the turn of the Babri demolition case, Verdict may come by April 2020 | अयोध्या फैसले के बाद अब बाबरी विध्वंस मामले की बारी, अप्रैल 2020 तक आ सकता है फैसला

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsलखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है।विशेष सीबीआई अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत और गवाही पेश करने की आखिरी तारीख 24 दिसंबर तय की है।

लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है। विशेष सीबीआई अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत और गवाही पेश करने की आखिरी तारीख 24 दिसंबर तय की है।

29 सितंबर, 2019 को आरेाप तय किये जाने के बाद अदालत द्वारा बार-बार आदेश जारी करने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के खिलाफ गवाह नहीं लाने पर हाल ही में अभियोजन पक्ष को फटकार लगायी गयी थी।

पांच अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर, 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और यह तारीख (इस मामले में) आखिरी कार्य दिवस होगा।

भाजपा नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ सुनवाई 25 मई, 2017 को लखनऊ की इस विशेष अदालत में शुरू हुई थी क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें इस मामले में बरी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया था।

सिंह पर राजस्थान के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद सितंबर, 2019 में सुनवाई शुरू हुई। राज्यपाल के रूप में उन्हें कानूनी प्रक्रिया से छूट प्राप्त थी।

वर्ष 1992 में छह दिसंबर को जब बाबरी मस्जिद गिरायी गयी थी, तब सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उच्चतम ने 19 अप्रैल 2017 से निचली अदालत को दो साल में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने 19 जुलाई 2019 को फिर निर्देश दिया कि इस मामले में नौ महीने में फैसला सुना दिया जाए।

सीबीआई ने बाबरी मस्जिद को ढहाने के मामले की जांच अपने हाथ में ली थी जिसमें नफरत भरे भाषण देने को लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया के खिलाफ मामला दर्ज है।

सीबीआई ने बाल साहब ठाकरे, कल्याण सिंह, मोरेश्वर सावे, चंपत राय बंसल, सतीश प्रधान, महंत अवैद्यनाथ, धरमदास, महंत नृत्य गोपाल दास, महामंडलेश्वर जगदीश मुनी, रामविलास वेदांती, वैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास और डॉ. सतीश चंद्र नागर के नाम को जोड़ते हुए 48 व्यक्तियों के खिलाफ पांच अक्टूबर 1993 को समेकित आरोपपत्र दायर किया था।

Web Title: After Ayodhya verdict, now the turn of the Babri demolition case, Verdict may come by April 2020

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