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Net Neutrality को भारत में मिली मंजूरी, इंटरनेट के इस्तेमाल पर अब नहीं होगा कोई भेदभाव

By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: July 12, 2018 18:42 IST

केंद्र के इस आदेश के बाद इंटरनेट पर किसी भेदभाव की आशंका खत्म हो गई है। हालांकि कुछ क्षेत्रों  autonomous driving, tele-medicine या remote-diagnostic services को अपवाद के तौर पर नेट न्यूट्रैलिटी से बाहर रखा गया है।

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नई दिल्ली, 12 जुलाई: देश के बिना किसी भेदभाव और रोकटोक के लोग अब इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे। टेलिकम्युनिकेशन विभाग (DoT) ने इंटरनेट के मामले में भेदभाव न होने को लेकर नियमों को मंजूर कर लिया है। डॉट ने सर्वोच्च बॉडी टेलिकॉम  कमीशन ने नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर TRAI की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। नेट न्यूट्रैलिटी के तहत अब हर कोई ऑनलाइन बराबर एक्सेस कर पाऐगा। इसी के साथ ही सरकार ने इस आदेश में किसी प्रकार के बदलाव या उल्लंघन पर भारी जुर्माने की चेतावनी दी है।

केंद्र के इस आदेश के बाद इंटरनेट पर किसी भेदभाव की आशंका खत्म हो गई है। हालांकि कुछ क्षेत्रों  autonomous driving, tele-medicine या remote-diagnostic services को अपवाद के तौर पर नेट न्यूट्रैलिटी से बाहर रखा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके लिए मौजूदा इंटरनेट की स्पीड से तेज इंटरनेट की जरूरत हो सकती है। यही कारण है कि इमरजेंसी सेवाओं को इस सिस्टम से बाहर रखा गया है।

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अलग-अलग सर्विस के नहीं देने होंगे अलग से पैसे

इन क्षेत्रों के अलावा पहले की तरह टेलिकॉम ऑपरेटर्स अपने यूजर्स को क्लोज्ड कम्युनिकेशन नेटवर्क (इंट्रानेट) के जरिए सुविधाएं उपलब्ध कराना जारी रखेंगे। Net neutrality का सिद्धांत जो किसी भी वेबसाइट को टेलिकॉम ऑपरेटर्स द्वारा अलग से स्पीड मुहैया कराने का विरोध करता है, वह अभी भी लागू रहेगा और differential pricing regulation पर रोक पहले जैसी ही रहेगी। जिसका मतलब है कि जो भी कॉन्टेंट इंटरनेट पर उपलब्ध है उनपर कोई भी टेलिकॉम कंपनी अपने सब्सक्राइबर्स से किसी भी खास टाइ-अप के जरिए ज्यादा पैसे नहीं ले सकती और उन्हें अलग से तेज स्पीड मुहैया नहीं करा सकतीं।

टेलिकॉम सचिव अरुणा सुंदरराजन ने बताया, 'बुधवार को इंटर मिनिस्ट्रियल कमिशन की बैठक में नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दी गई। यह तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है।' सरकार के इस मूव को सकारात्मक माना जा रहा है क्योंकि इस आदेश के बाद कोई भी ऑपरेटर, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर इस क्षेत्र में अपना एकाधिकार स्थापित नहीं कर सकता है।

अरुणा ने कहा, 'बैठक में मौजूद सभी लोगों ने कहा कि डिजिटल बुनियादी ढांचा आज भौतिक बुनियादी ढांचे के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है। नीति आयोग के सीईओ (अमिताभ कांत) ने कहा कि जिलों के लिये हमें निश्चित रूप से डिजिटल बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना चाहिए। इसीलिए देश में कारोबार सुगमता और उपयुक्त नीति माहौल जरूरी है।'

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नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि इंटरनेट सर्विस प्रवाइडर की ओर से भेदभाव के बिना सभी वेब आधारित सर्विस पर जाने की आजादी। यह टेलिफोन सर्विस प्रवाइडरों के उस कॉन्सेप्ट की तरह है, जिससे कॉल करने में कपंनियां कोई शर्त-भेदभाव नहीं करती है। जिस तरह से एक बार सेवा लेने के बाद आप कहीं भी फोन कर सकते हैं, उसी तरह से नेट पैक लेने पर आप खुलकर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि कोई खास वेबसाइट या इंटरनेट आधारित सर्विस के लिए नेटवर्क प्रवाइडर आपको अलग से चार्ज नहीं कर सकता।

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