WhatsApp के जरिए भारत के जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट की जासूसी कर रही थी इजरायल की कंपनी, ऐसे हुआ खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 31, 2019 10:05 IST2019-10-31T10:05:43+5:302019-10-31T10:05:43+5:30

इजरायल की कंपनी एनएसओ का पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह बनाया गया है जिससे एंड्रॉइड, आईओएस और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले उपकरणों को हाइजैक किया जा सके।

Israeli company was spying on Indian journalists and activists via WhatsApp, how it revealed | WhatsApp के जरिए भारत के जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट की जासूसी कर रही थी इजरायल की कंपनी, ऐसे हुआ खुलासा

WhatsApp के जरिए भारत के जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट की जासूसी कर रही थी इजरायल की कंपनी, ऐसे हुआ खुलासा

Highlightsसाइबर हमले में 100 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार जासूसी हमले के निशाने पर थे। व्हॉट्सऐप ने इस्राइल की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह पर आरोप लगाया है

इजरायल की कंपनी NSO Group भारत के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की साइबर जासूसी कर रही थी। बुधवार को वाट्सएप ने इसकी पुष्टि कर दी है। व्हॉट्सऐप ने इस्राइल की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह पर आरोप लगाया है कि वह फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य की साइबर जासूसी कर रही है। व्हाट्सऐप ने इसके साथ ही कंपनी पर मुकदमा दायर दिया है। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वाट्सएप प्रवक्ता ने बताया, 'भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता सर्विलांस पर थे। हालांकि मैं सटीक संख्या और पहचान का खुलासा तो नहीं कर सकता लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि ये कम नहीं हैं।' रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो दर्जन वकील, दलित कार्यकर्ता, प्रोफेसर और पत्रकारों को वाट्सएप ने संपर्क करके सतर्क किया है। साथ ही उनका फोन मई 2019 तक दो हफ्ते के लि स्टेट-ऑफ आर्ट सर्विलांस पर रखा गया।

अपनाते थे ये तरीका

किसी टारगेट को मॉनिटर करने के लिए ऑपरेटर किसी भी तरह से एक विशेष लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करते थे। इससे ऑपरेटर को टारगेट के फोन का पूरा सिक्योरिटी फीचर तोड़ने का मौका मिल जाता था। इसके बाद बिना यूजर की अनुमति या जाने उसके मोबाइल में Pegasus इंस्टाल कर दिया जाता था। अब ऑपरेटर चाहे तो टारगेट के मोबाइल से उसका प्राइवेट डेटा, पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्स्ट मैसेज निकाल सकता था। लेटेस्ट टेक्निक के मुताबिक टारगेट को लिंक पर क्लिक करने की भी जरूरत नहीं है। वाट्सएप पर सिर्फ एक मिस्ड कॉल आएगी और ऑपरेटर का काम हो जाएगा।

एनएसओ पर गंभीर आरोप

व्हॉट्सऐप ने इस्राइल की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह पर आरोप लगाया है कि वह फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य की साइबर जासूसी कर रही है। व्हाट्सऐप ने इसके साथ ही कंपनी पर मुकदमा दायर दिया है। वाद कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि एनएसओ समूह ने मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों के करीब 1,400 उपकरणों को संक्रमित कर महत्वपूर्ण जानकारी चुराने का प्रयास किया।

कंपनी ने किया आरोपों का खंडन

व्हॉट्सऐप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने कहा कि साइबर हमले की जांच में इस्राइल की कंपनी की भूमिका सामने आने के बाद यह मुकदमा दायर किया गया है। हालांकि कंपनी ने इस आरोप का खंडन किया है। कैथकार्ट ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘एनएसओ समूह का दावा है कि वह सरकारों के लिए पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं लेकिन हमने पाया कि बीते मई माह में हुए साइबर हमले में 100 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार जासूसी हमले के निशाने पर थे। यह दुरुपयोग बंद होना चाहिए।’’

वाद में कहा गया कि एनएसओ का पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह बनाया गया है जिससे एंड्रॉइड, आईओएस और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले उपकरणों को हाइजैक किया जा सके।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से भी इनपुट्स लेकर

Web Title: Israeli company was spying on Indian journalists and activists via WhatsApp, how it revealed

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