रिपोर्ट में दावा- हैकर आसानी से तैयार कर सकते हैं जाली आधार नंबर, 2500 रुपये में बिक रहा है हैकिंग पैच
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 11, 2018 05:05 PM2018-09-11T17:05:40+5:302018-09-11T18:27:47+5:30
Aadhaar data compromised: आधार कार्ड हर भारतीय नागरिक की यूनिक पहचान सुनिश्चित करता है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक को 12 अंकों वाली यूनिक आधार संख्या दी जाती है। आधार कार्ड में धारक की बॉयोमेट्रिक जानकारी और तमाम निजी जानकारियाँ मौजूद रहती हैं।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक करोड़ से ज्यादा भारतीयों के आधार कार्ड का डेटा की सुरक्षा में सेंध लगायी जा चुकी है। हफ़पोस्ट इंडिया नामक न्यूज़साइट ने दावा किया है कि उसके तीन महीने की पड़ताल में सामने आया कि हैकरों ने ऐसा सॉफ्टवेयर बना लिया है जिससे हैकर नया आधार कार्ड तैयार कर सकते हैं।
नए आधार कार्ड धारकों को पंजीकरण की प्रक्रिया में तकनीकी खामी का फायदा उठाकर हैकर ये सूचना चोरी कर रहे हैं। हफ़पोस्ट के अनुसार भारतीय नागरिकों के आधार डेटा महज 2500 रुपये में बेचे जा रहे हैं।
आधार कार्ड हर भारतीय नागरिक की यूनिक पहचान सुनिश्चित करता है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक को 12 अंकों वाली यूनिक आधार संख्या दी जाती है। आधार कार्ड में धारक की बॉयोमेट्रिक जानकारी और तमाम निजी जानकारियाँ मौजूद रहती हैं।
इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से दुनिया के किसी भी कोने में बैठा आदमी नयी यूनिक आधार संख्या बना सकता है। हफ़पोस्ट के अनुसार हैकर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके भारी पैमाने पर आधार संख्या तैयार की जा रही है।
आधार कार्ड को भारत सरकार ने साल 2009 में लॉन्च किया था। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बना चुकी है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग और पासपोर्ट तक में आधार कार्ड धारकों को विशेष सुविधा दी जाती है।
कैसे हो रहा है आधार कार्ड हैक
हफ़पोस्ट के अनुसार ये साफ़्टवेयर कई कोडों का संग्रह है जो सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में बदलाव कर देता है। सॉफ्टवेयर कंपनियां ऐसे पैचेज का इस्तेमाल अपने सॉफ्टवेयर में मामूली बदलाव करने के लिए करती हैं। लेकिन कई बार ऐसे पैचेज का इस्तेमाल हैकर दूसरे के सिस्टम को नुकसान पहुँचाने के लिए भी करते हैं।
हफ़पोस्ट इंडिया के अनुसार ये सॉफ्टवेयर पैच उनके पास मौजूद है और उसने तीन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को और दो भारतीय विश्लेषकों से इसका विश्लेषण कराया है।
इस पैच की मदद से हैकर आधार कार्ड के सिक्योरिटी फीच़र्स को धोखा दे देते हैं। इस पैच की मदद से हैकरों ने बॉयोमेट्रिक अथेंटिकेशन के सुरक्षा कवच को भेदकर यूनिक आधार संख्या बना लेते हैं।
इस पैच की मदद से आधार पंजीकरण केंद्रों को चिह्नित करने वाले जीपीएस सिक्योरिटी फीचर्स को डिसेबल भी किया जा सकता है। यानी दुनिया के किसी भी देश से बैठकर भारतीय आधार संख्या तैयार की जा सकती है।
अभी तक भारत सरकार की तरफ से इस हैकिंग की न्यूज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। इससे पहले जब आधार संख्या के खुले बाजार में बिकनी की ख़बर आयी थी तो केंद्र सरकार ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया था।
हाल ही में TRAI के चेयरमैन आरएस शर्मा ने आधार के हैकिंग का दावा करने वालों को चुनौती देते हुए ट्विटर पर अपनी आधार संख्या शेयर करके लोगों को उसे हैक करने की चुनौती दी थी। शर्मा के ट्वीट के कुछ घंटों के अंदर उनकी निजी जानकारियां हैकरों ने हासिल कर लीं और उनके अकाउंट में एक अज्ञात व्यक्ति ने एक रुपये जमा कर दिये थे।