Facebook ला रहा है दिमाग पढ़ने वाला डिवाइस, सोचते ही हो जाएगा टाइप
By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: August 1, 2019 12:34 IST2019-08-01T12:34:00+5:302019-08-01T12:34:00+5:30
Facebook ने F8 डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में 2017 में इस ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) प्रोग्राम को अनाउंट किया था। फेसबुक की ओर से कहा गया था कि प्रोग्राम का मकसद एक छोटा और पहनने लायक डिवाइस तैयार करना होगा, जिसकी मदद से यूजर्स दिमाग में सोचकर ही आसानी से टाइपिंग कर सकें।

Facebook AR Device which mind reading device wants you to type
दिग्गज सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म Facebook अब एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। कंपनी जल्द ही एक ऐसा डिवाइस लाने वाली है जिसकी मदद से आप जो सोचेंगे, वो खुद ही टाइप हो जाएगा। फेसबुक जल्द ही ब्रेन कंप्यूटर ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) इंटरफेस डिवाइस डेवलप लाने वाला है।
फेसबुक ने F8 डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में 2017 में इस ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) प्रोग्राम को अनाउंट किया था। फेसबुक की ओर से कहा गया था कि प्रोग्राम का मकसद एक छोटा और पहनने लायक डिवाइस तैयार करना होगा, जिसकी मदद से यूजर्स दिमाग में सोचकर ही आसानी से टाइपिंग कर सकें।
फेसबुक (Facebook) जल्द ही ब्रेन-रीडिंग कंप्यूटर को असलियत में दुनिया के सामने लाने वाला है। कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है कि उसने इस आइडिया पर काफी प्रोग्रेस कर ली है और वो एक वियरेबल डिवाइस डेवल्प करने जा रहा है, जिसकी मदद से लोग जो सोचेंगे वो टाइप हो सकेगा।
फेसबुक ने मंगलवार को कहा, 'नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में पब्लिश एक पेपर के यूसीएसएफ की टीम ने शेयर किया है कि हम एआर ग्लासेज के लिए छोटे ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस के कितने करीब हैं और आगे कितना काम बचा है।'
Facebook रिएलिटी लैब्स इस टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफर कैलिफोर्निया सैनफ्रांसिस्को के रिसर्चर्स के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक स्टडी में सामने आया है कि कैसे रिसर्चर्स ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस का इस्तेमाल कर इंसान के दिमाग से सीधा स्पीच स्क्रीन पर डिकोड कर रहे हैं।
बिना डिवाइस की ओर देखकर होगी टाइपिंग
शोधकर्ता ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका एल्गोरिथ्म अभी सिर्फ कुछ शब्दों और वाक्यों को ही पहचान सकता है, लेकिन आने वाले टाइम में ट्रांसलेशन पर फोकस करते हुए बड़ा शब्दकोश तैयार किया जाएगा, जिससे गलती की गुंजाइश को कम किया जा सके।
फेसबुक ने लिखा, 'एआर का मकसद दुनियाभर के लोगों से आसानी से जुड़ना और उन्हें आपस में जोड़ना है। ऐसे में बिना फोन की स्क्रीन पर देखे या लैपटॉप ऑन किए ही, यूजर्स आई-कॉन्टैक्ट बनाए रखने के साथ-साथ जरूरी जानकारी और बातें डिवाइस पर टाइप या सेव कर सकेंगे।'
एक साल तक होगी टेस्टिंग
फिलहाल इस रिसर्च के लिए तीन मरीजों पर काम किया जा रहा है जिनका मिरगी का इलाज चल रहा है। इस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग के लिए रिसर्चर्स को करीब एक साल का वक्त लगेगा। फेसबुक के AT/VR के वॉइस प्रेसीडेंट बॉसवर्थ ने कहा है कि आज हम नॉन-इनवेसिव वियरबेल डिवाइस पर किए गए अपने काम का अपडेट शेयर कर रहे हैं. जो कि लोगों को ये सुविधा देता है कि जो वो सोच रहे हैं, वो टाइप हो सके।
करना होगा थोड़ा इंतजार
फेसबुक के इस टेक्नोलॉजी के लिए फिलहाल यूजर्स को इंतजार करना होगा। कंपनी ने कहा है कि इस पर अभी बहुत काम होना है और ये अभी पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं है। आपको बता दें कि ऐसी किसी टेक्नोलॉजी काम करने वाला फेसबुक अकेला नहीं है। इससे पहले टेस्ला के सीईओ ने Neuralink इवेंट में कहा था कि कंपनी 2020 के अंत से पहले ह्यूमन ट्रॉयल्स शुरू कर देगी।


