लाइव न्यूज़ :

Chandrayaan-3 Mission: ‘चंद्रयान-3’ के सफल प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार, इसरो का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल करना, संबंधित घटनाक्रम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2023 20:00 IST

Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान कार्यक्रम की कल्पना भारत सरकार द्वारा की गई थी और औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इसकी घोषणा की गई थी।

Open in App
ठळक मुद्देपीएसएलवी-सी 11 रॉकेट के जरिए पहले मिशन ‘चंद्रयान-1’ का प्रक्षेपण हुआ।भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरण थे।चंद्र सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था।

Chandrayaan-3 Mission: वैज्ञानिक समुदाय शुक्रवार को भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के सफल प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इन वर्षों में चंद्र अभियान कैसे विकसित हुआ।

इस बारे में संबंधित घटनाक्रम प्रस्तुत हैः

- चंद्रयान कार्यक्रम की कल्पना भारत सरकार द्वारा की गई थी और औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इसकी घोषणा की गई थी। इसके बाद, वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत तब रंग लाई जब 22 अक्टूबर, 2008 को इसरो के विश्वसनीय पीएसएलवी-सी 11 रॉकेट के जरिए पहले मिशन ‘चंद्रयान-1’ का प्रक्षेपण हुआ।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, पीएसएलवी-सी11, पीएसएलवी के मानक विन्यास का एक अद्यतन संस्करण था। प्रक्षेपण के समय 320 टन वजनी इस वाहन में उच्च उपकरण क्षमता प्राप्त करने के लिए बड़ी ‘स्ट्रैप-ऑन मोटर्स’ का उपयोग किया गया था। इसमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरण थे।

तमिलनाडु से संबंध रखने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक मयिलसामी अन्नादुरई ने ‘चंद्रयान-1’ मिशन के निदेशक के रूप में इस परियोजना का नेतृत्व किया था। अंतरिक्ष यान चंद्रमा के रासायनिक, खनिज विज्ञान और फोटो-भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चंद्र सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था।

मिशन ने जब सभी वांछित उद्देश्य हासिल कर लिए, तो प्रक्षेपण के कुछ महीनों बाद मई 2009 में अंतरिक्ष यान की कक्षा को 200 किमी तक बढ़ा दिया गया। उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक चक्कर लगाए, जो इसरो टीम की अपेक्षा से अधिक थे। मिशन अंततः समाप्त हुआ और अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि 29 अगस्त, 2009 को अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया।

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम ने पीएसएलवी-सी11 को डिजाइन और विकसित किया था। इस सफलता से उत्साहित होकर, इसरो ने एक जटिल मिशन के रूप में ‘चंद्रयान-2’ की कल्पना की थी। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अन्वेषण के लिए एक ‘ऑर्बिटर’, ‘लैंडर’ (विक्रम) और ‘रोवर’ (प्रज्ञान) ले गया था।

चंद्रयान-2 मिशन 22 जुलाई, 2019 को उड़ान भरने के बाद उसी वर्ष 20 अगस्त को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित कर दिया गया था। अंतरिक्ष यान का हर कदम सटीक था और चंद्रमा की सतह पर उतरने की तैयारी में ‘लैंडर’ सफलतापूर्वक ‘ऑर्बिटर’ से अलग हो गया।

एक सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगाने के बाद, ‘लैंडर’ का चंद्र सतह की ओर आना योजना के अनुसार था और 2.1 किमी की ऊंचाई तक यह सामान्य था। हालाँकि, मिशन अचानक तब समाप्त हो गया जब वैज्ञानिकों का ‘विक्रम’ से संपर्क टूट गया। ‘विक्रम’ का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक दिवंगत विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था।

‘चंद्रयान-2’ मिशन चंद्रमा की सतह पर वांछित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहा, जिससे इसरो टीम को काफी दुख हुआ। उस समय वैज्ञानिक उपलब्धि को देखने के लिए इसरो मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन को सांत्वना देते देखा गया जो भावुक हो गए थे और वे तस्वीरें आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं।

‘चंद्रयान-2’ मिशन का उद्देश्य स्थलाकृति, भूकंप विवरण, खनिज पहचान, सतह की रासायनिक संरचना और ऊपरी मिट्टी की तापीय-भौतिक विशेषताओं के विस्तृत अध्ययन के माध्यम से चंद्र वैज्ञानिक ज्ञान का विस्तार करना था, जिससे चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास की नयी समझ पैदा हो सके।

शुक्रवार को चंद्र यात्रा पर रवाना होने वाला तीसरा मिशन पूर्ववर्ती ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल करना है। चंद्रमा की सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।

चंद्रयान-3 की सफलता भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल कर देगी: नंबी नारायणन

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘चंद्रयान-3’ से पहले इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने बृहस्पतिवार को कहा कि इसकी सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा और इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।

उन्होंने यहां बातचीत में कहा कि इससे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वर्तमान में 600 अरब डॉलर के अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम दो प्रतिशत है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि चूंकि भारत अब प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी को आमंत्रित कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र में और अधिक स्टार्टअप के प्रवेश की गुंजाइश भी बढ़ेगी।

नारायणन ने कहा, ‘‘कई खिलाड़ियों के लिए अपना काम शुरू करना बहुत मायने रखता है। उदाहरण के लिए, मुझे लगता है कि कई स्टार्टअप आएंगे, और यहां तक ​​कि हमारे पास जो स्टार्टअप हैं, उनके पास बेहतर फंडिंग होगी। कई दूसरे देश भी अपने स्टार्टअप के साथ यहां आ सकते हैं या किसी मौजूदा स्टार्टअप में शामिल हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सफल ‘चंद्रयान-3’ मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा। ‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा पर उतरने में कामयाब रहा था, लेकिन कुछ सॉफ्टवेयर और यांत्रिक समस्याओं के कारण ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहा।

नारायणन ने कहा कि अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसके हर पहलू पर चार साल तक काम किया है और उन्हें ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि किसी देश के आगे बढ़ने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक आवश्यक है। नारायणन ने कहा कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए न्यूनतम राशि उपयोग करने के लिए जाना जाता है।

पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘अन्य देशों की तुलना में, ऐसे अभियानों पर हमारा खर्च बहुत कम है।’’ नारायणन ने कहा, ‘‘मिशन की सफलता जानने के लिए हमें 23 या 24 अगस्त तक इंतजार करना होगा क्योंकि ‘लैंडिंग’ उन्हीं तारीखों पर होगी।’’ उन्होंने ऐसे बड़े अंतरिक्ष अभियानों को शुरू करने के लिए चीन के साथ या उसके बिना, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) की तर्ज पर एशियाई अंतरिक्ष एजेंसी (एएसए) जैसी किसी व्यवस्था की स्थापना की आवश्यकता पर भी जोर दिया।’’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उलटी गिनती बृहस्पतिवार को श्रीहरिकोटा में शुरू हो गई। शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्र मिशन’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है।

‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।

टॅग्स :चंद्रयान-3इसरोअटल बिहारी वाजपेयीनरेंद्र मोदीचंद्रयान
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

टेकमेनिया अधिक खबरें

टेकमेनियाक्या है संचार साथी? साइबर सिक्योरिटी ऐप जिसे सरकार क्यों चाहती है भारत के हर नए स्मार्ट फोन में हो इंस्टॉल

टेकमेनियाएक्टिव सिम के बिना नहीं चलेगा आपका WhatsApp, केंद्र ने साइबर क्राइम रोकने के लिए नए नियम जारी किए

टेकमेनियाक्या है क्लाउडफ्लेयर में रुकावट की वजह? जानिए एक्स, चैटजीपीटी और दूसरी लोकप्रिय वेबसाइटें क्यों हुईं डाउन?

टेकमेनियाX Down: एलन मस्क का एक्स उपयोगकर्ताओं के लिए हुआ डाउन, यूजर हुए परेशान

टेकमेनियागंभीर संकट परोस रहा है सोशल मीडिया