नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव ने स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) ‘भारोस’ (BharOS) का मंगलवार को परीक्षण किया। इस स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम को आईआईटी, मद्रास द्वारा विकसित किया गया है।
प्रधान ने इस मौके पर कहा, 'इस सिस्टम के विकास में शामिल सभी लोगों को बधाई। पहली बार जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने 8 साल पहले डिजिटल इंडिया के बारे में बात की थी, तो हमारे कुछ दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया था लेकिन आज तकनीक विशेषज्ञ, इनोवेटर्स, उद्यमी और नीति निर्माता और शैक्षणिक संस्थानों ने आठ साल बाद उनके दृष्टिकोण को स्वीकार किया है।'
प्रधान ने आगे कहा, 'एक मजबूत, स्वदेशी, भरोसेमंद और आत्मनिर्भर डिजिटल अवसंरचना की मुख्य लाभार्थी देश की गरीब जनता होगी। ‘भारोस’ डेटा की निजता की दिशा में एक सफल कदम है।'
वहीं, अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'इस यात्रा में मुश्किलें आएंगी और दुनिया भर में ऐसे कई लोग हैं जो मुश्किलें खड़ी करेंगे और नहीं चाहेंगे कि ऐसी कोई व्यवस्था सफल हो।'
गौरतलब है कि 'भारोस' को जेएंडके ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया जिसका विकास मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने किया है। भारोस सेवाएं फिलहाल अति गोपनीयता और सुरक्षा जरूरत वाले संगठनों को प्रदान की जा रही हैं जिनके उपयोगकर्ता संवेदनशील जानकारी को संभालते हैं।
इन उपयोगकर्ताओं को मोबाइल पर प्रतिबंधित ऐप पर गोपनीय संचार की आवश्यकता होती है। ऐसे उपयोगकर्ताओं को निजी 5-जी नेटवर्क के माध्यम से निजी क्लाउड सेवाओं तक पहुंच की आवश्यकता होती है।
'भारोस' भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना है। इसका मकसद सरकारी और पब्लिक सिस्टम के इस्तेमाल के लिए एक मुक्त और ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) विकसित करना है। परियोजना का उद्देश्य स्मार्टफोन में विदेशी ओएस पर निर्भरता को कम करना और स्थानीय रूप से विकसित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है।