इन 5 डिजिटल तरीकों से होता है सबसे ज्यादा पेमेंट फ्रॉड, ऐसे करें बचाव

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 22, 2019 05:36 PM2019-11-22T17:36:58+5:302019-11-22T17:36:58+5:30

ऑनलाइन ठगी से बचने के लिये सबसे सही उपाय है पहले से ही सजग रहना। क्योंकि एक बार ठगी का शिकार हो जाने के बाद कई बार ठग के पास तक पहुंच पाना भी कठिन होता है। क्योंकि ये ठगी का खेल भी कई बार प्रोफेशनल गिरोह द्वारा किया जाता है।

5 digital payment frauds and how to avoid them | इन 5 डिजिटल तरीकों से होता है सबसे ज्यादा पेमेंट फ्रॉड, ऐसे करें बचाव

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsहैकर्स यूजर्स को कई बार स्क्रीन शेयरिंग एप्स के जरिये चूना लगाते हैं।हैकरों द्वारा भेजी गई रिक्वेस्ट पर अपना कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट,पिन, ओटीपी बिलकुल भी ना दें।

कई सारे एप्स और स्मार्टफोन ने पैसों के लेन-देन को आसान तो बहुत बनाया लेकिन इसके साथ ही परेशानियां भी बढ़ी हैं। कई लोगों के साथ डिजिटल लेन-देन के जरिये फ्रॉड हुआ है और जिनके साथ अभी तक नहीं हुआ वो कभी भी इसके शिकार हो सकते हैं। ऐसे में डिजिटल लेन-देन या किसी एप के जरिये लेन-देन के के दौरान थोड़ा सा सावधानी बरत कर आप अपने साथ होने वाले संभावित धोखे को टाल सकते हैं।  

डिजिटली पेमेंट के जरिये लेने-देन के लिए यूपीआई, कार्ड पेमेंट्स, क्यूआर कोड स्कैन करने का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन उसमें सुरक्षा बहुत कम रहती है। कई बार कुछ अन्य तरीकों का इस्तेमाल कर हैकर्स यूजर्स की जरूरी जानकारी चुरा लेते हैं और उसके जरिये फ्रॉड करते हैं। तो पहले तो ये जान लीजिये कि कौन से तरीके हैं जिनसे ज्यादातर फ्रॉड किया होता रहा है-

पेमेंट रिक्वेस्ट के जरिये फ्रॉड/ पैसे मिलने का लालच दिखाकर किया जाने वाला फ्रॉड
हैकर्स पेमेंट रिक्वेस्ट फीचर का दुरुपयोग करते हैं। कई बार वो इंटर योर UPI टू रिसीव मनी, पेमेंट सक्सेसफुल रिसीव Rs.xxx लिखा हुआ मैसेज करते हैं। ऐसे में आपको सिर्फ पिन नंबर डालने की जरूरत रहती है। होता क्या है कि पेमेंट रिसीव का मैसेज देखकर लोगों को कई बार लगता है कि कहां से पैसा आ गया लेकिन वो सिर्फ पैसे मिलने का मैसेज दिखाता है और जब आप उसको पूरा पढ़ना चाहेंगे तो आपसे पिन नंबर मांगेगा और पिन नंबर डालते ही पैसे मिलने की जगह आपके पैसे कट जाएंगे।

बचाव: इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिये सबसे पहला तरीका की आपको भले ही लाखों रुपये रिसीव करने का मैसेज मिले लेकिन जब तक वो आपके किसी पहचान के व्यक्ति की तरफ से नहीं है तो ऐसे में पिन नंबर कभी भी न डालें। कई बार 'पे' बटन दबाने का ऑप्शन भी आता है तो भी न करें। एक और बात का ध्यान रखें कि यदि किसी परिचित की तरफ से पैसों के लिये रिक्वेस्ट मैसेज आता है तो एक बार उनके बात कर जरूर कंफर्म कर लें। 

क्यूआर कोड फ्रॉड
फ्रॉड करने वाले कई बार व्हाट्सएप पर क्यूआर कोड शेयर करते हैं और साथ में मैसेज देते हैं कि इसको स्कैन करने पर आपके अकाउंट में पैसे आ जाएंगे। उस दौरान आपको ऐसे मैसेज मिलते हैं जैसे कि पैसे सीधे आपके अकाउंट में आएंगे। इसी बहाने आपसे आपके अकाउंट की डिटेल मांगी जाती है। डिटेल देते ही आप फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं। 

क्यूआर कोड का ये फीचर कुछ यूपीआई एप्स में आता है। जैसे आप किसी दुकान पर जाते हैं और पैसे चुकाने के लिये दुकान पर रखा क्यूआर कोड स्कैन करते हैं तो पैसा सामने वाले के पास जाता है। उसी तरह जब उनका भेजा हुआ क्यूआर कोड स्कैन करेंगे तो वो पैसा उनके खाते में जाएगा। जो लोग फ्रॉड करते हैं उसमें पैसे की रकम चुनने की आजादी भी उन्हीं के पास होती और वो आपके खाते पैसे चुराकर अपने खाते में भेज देते हैं। 

कैसे बचें- हैकरों द्वारा भेजी गई रिक्वेस्ट पर अपना कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट,पिन, ओटीपी बिलकुल भी ना दें।

रिमोट एक्सेस एप
हैकर्स यूजर्स को कई बार स्क्रीन शेयरिंग एप्स के जरिये चूना लगाते हैं। वो किसी तरह से यूजर्स को स्क्रीनशेयर, ऐनीडेस्क, टीमव्यूवर जैसे स्क्रीन शेयरिंग एप्स डाउनलोड कराते हैं उसके बाद आपके फोन से बैंक से जुड़ी सारी जानकारी जुटा लेते हैं और फिर आपका अकाउंट खाली कर देते हैं। ये एप्स मालवेयर नहीं हैं लेकिन इनकें द्वारा किसी के भी मोबाइल का डाटा की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

कैसे बचें- पेमेंट रिसीव करने के लिये किसी भी कीमत पर स्क्रीनशेयर, एनीडेस्क, टीमव्यूवर जैसे थर्ड पार्टी एप कभी भी डाउनलोड ना करें।

सोशल मीडिया पर पहचान छिपाकर चोरी
सोशल मीडिया पर लोगों की शिकायतों को देखकर ये पीड़ित लोगों को ट्रैक करते हैं और अपनी फर्जी पहचान बनाकर, बैंक अधिकारी बनकर उनकी समस्या को सुलझाने और मदद करने का दावा करते हैं। धीरे-धीरे सामने वाले से जानकारी लेकर, खाता नंबर पिन नंबर जैसी गोपनीय जानकारी लेकर ये फ्रॉड करते हैं। 

कैसे बचें- इस तरह की जालसाजी से बचने के लिए इंटरनेट ,गूगल, फेसबुक और ट्वीटर पर हेल्प का वादा करने वाले पर बिलकुल भी भरोसा न करें। क्योंकि बैंक सोशल मीडिया पर इस तरह मदद नहीं करता है किसी की भी। उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट होते हैं लेकिन वहां सिर्फ सीमित जानकारी ही दी जाती है। बाकी वो खुद ब्रांच में जाने की सलाह देते हैं। 

सिम स्वैप फ्रॉड
हैकर्स के पास एक डुप्लीकेट सिम होती है जिसके द्वारा वो किसी के भी वन टाइम पासवर्ड को प्राप्त कर सकते हैं। हैकर्स इसके लिए खुद को किसी कंपनी का बताकर लोगों से उनकी सिम कार्ड नंबर को ले लेते है। जिसके द्वारा वो अपनी डुप्लीकेट सिम को एक्टिवेट करते हैं।

कैसे बचें- किसी भी अनजान व्यक्ति के मैसेज का जवाब बिलकुल ना दें और ना ही ऐसे किसी ईमेल के लिंक पर क्लिक करें।

Web Title: 5 digital payment frauds and how to avoid them

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