Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी 14 जून को, जानें शुभ मुहूर्त व्रत विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: June 12, 2023 14:47 IST2023-06-12T14:47:22+5:302023-06-12T14:47:22+5:30

शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत विधि-विधान के साथ करने से सारे पाप मिट जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार योगिनी एकादशी व्रत 14 जून 2023 को रखा जाएगा।

Yogini Ekadashi 2023: Yogini Ekadashi on June 14, know auspicious time, fasting method and importance | Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी 14 जून को, जानें शुभ मुहूर्त व्रत विधि और महत्व

Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी 14 जून को, जानें शुभ मुहूर्त व्रत विधि और महत्व

Yogini Ekadashi 2023: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर माह में दो बार एकादशी व्रत रखा जाता है। इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत विधि-विधान के साथ करने से सारे पाप मिट जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार योगिनी एकादशी व्रत 14 जून 2023 को रखा जाएगा।

योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि  प्रारंभ - 13 जून सुबह 09:28 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त - 4 जून सुबह 08: 28 मिनट
योगिनी एकादशी पारण मुहूर्त - 15 जून, गुरुवार सुबह 05:22 से 08:10 बजे तक 

योगिनी एकादशी की व्रत विधि

सुबह तड़के उठना चाहिए स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
इसके बाद भगवान विष्णु जी को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए।  
मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। 
उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाएं। 
भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
शाम को तुलसी की पूजा करें। 
रात्रि में भगवान विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
सुबह व्रत पारण मुहूर्त में व्रत खोलें।
अंत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर विदा करें। 

योगिनी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नामक एक माली रहता था। उसका कार्य रोजाना भगवान शंकर के पूजन के लिए मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने के कारण फूल लाने में बहुत देर हो गई। वह दरबार में विलंब से पहुंचा। इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और एक दिन देवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया। तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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