स्वामी विवेकानंद की बात सुनकर जब अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया, पढ़ें संयम और शालीनता की अद्भुत कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 30, 2019 02:35 PM2019-08-30T14:35:40+5:302019-08-30T14:35:40+5:30

स्वामी विवेकानंद संयम और शालीनता की तस्वीर थे जिनसे हम काफी कुछ सीख सकते हैं। आज हमें कोई कुछ कह दे या बुराई कर दे तो हम तुरंत जवाब देने के लिए तैयार हो जाते हैं। विवेकानंद ऐसे बिल्कुल नहीं थे।

When hearing Swami Vivekananda Britishers bowed their heads in shame | स्वामी विवेकानंद की बात सुनकर जब अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया, पढ़ें संयम और शालीनता की अद्भुत कहानी

स्वामी विवेकानंद से सीखें संयम और शालीनता

Highlightsस्वामी विवेकानंद से हर इंसान सीख सकता है संयम और शालीनताट्रेन में सफर के दौरान अंग्रेजों की बात का नहीं माना था बुरा, बाद में अंग्रेजों ने ही मांगी माफी

कोई कुछ कह दे, हमारी बुराई करे तो हमारे कान तुरंत खड़े हो जाते हैं और हम तुरंत लड़ने-भिड़ने पर उतारु हो जाते हैं। स्वामी विवेकानंद लेकिन ऐसे बिल्कुल नहीं थे। उनमें संयम और शालीनता ऐसी थी जिससे हर इंसान को सीखना चाहिए। स्वामी विवेकानांद एक बार ट्रेन से कहीं जा रहे थे। स्वामी जिस ट्रेन डब्बे में वह सफर कर रहे थे, उसमें कुछ अंग्रेज यात्री भी मौजूद थे।  

उन अंग्रेजों को साधुओं से बहुत चिढ़ थी। स्वामी जी को देखकर उन्होंने उनकी निंदा करनी शुरू कर दी। वे गाली भी दे रहे थे। उन्हें लगा था कि स्वामीजी अंग्रेजी नहीं जानते होंगे। इसलिए उन्होंने आपसी बातचीत में साधुओं को काफी बुरा-भला कहा। वैसे उन दिनों की हकीकत भी यही थी कि अंग्रेजी जानने वाले साधु होती भी नहीं थे।

रास्ते में एक बड़ा स्टेशन आया। वहां, स्वामी विवेकानंद के स्वागत के लिए हजारों लोग उपस्थित थे। उनमें कुछ विद्वान और अधिकारी भी थे। स्टेशन पर उपस्थित लोगों को संबोधित करने के बाद अंग्रेजी में पूछे गये सवालों का जवाब स्वामीजी अंग्रेजी में ही दे रहे थे। उन्हें फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते देखकर उन उन अंग्रेज यात्रियों को मानो सांप सूंघ गया, जो रेल में उनकी बुराई कर रहे थे। अवसर मिलने पर वे विवेकानंद के पास आए और उनसे नम्रतापूर्वक बोले, 'आपने हमारी बातों का बुरा माना होगा?'

स्वामीजी ने शालीनता से कहा, 'मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना व्यस्त था कि आप लोगों की बातें सुनने के बावजूद उन पर ध्यान देने और उनका बुरा मानने का अवसर ही नहीं मिला।' यह सुनकर अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया और वे स्वामीजी के चरणों में गिर गए।

Web Title: When hearing Swami Vivekananda Britishers bowed their heads in shame

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