Vrischika Sankranti 2019: आज है वृश्चिका संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और सूर्य को पूजने की सही विधि

By मेघना वर्मा | Published: November 17, 2019 07:23 AM2019-11-17T07:23:52+5:302019-11-17T07:23:52+5:30

इस साल वृश्चिका संक्रांति 17 नवंबर को पड़ी है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। साथ ही सूर्योदय के समय उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।

Vrischika Sankranti 2019: vrischika sankranti today know the puja vidhi shubh muhurat date time and significance | Vrischika Sankranti 2019: आज है वृश्चिका संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और सूर्य को पूजने की सही विधि

Vrischika Sankranti 2019: आज है वृश्चिका संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और सूर्य को पूजने की सही विधि

Highlightsआज सूर्य तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा।कोई भी शुभ काम करने से पहले ग्रहों की चाल और शुभ मुहूर्त को जरूर देखा जाता है। 

देशभर में आज वृश्चिका संक्रांति मनाई जा रही है। आज सूर्य तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। हिन्दू धर्म में ग्रहों और नक्षत्रों को काफी महत्ता दी जाती है। कोई भी शुभ काम करने से पहले हम ग्रहों की चाल और शुभ मुहूर्त को जरूर देखा जाता है। 

इस साल वृश्चिका संक्रांति 17 नवंबर को पड़ी है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। साथ ही सूर्योदय के समय उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सिर्फ यही नहीं सुबह उठकर विष्णु भगवान की पूजा करना शुभ होता है। आइए आपको बताते हैं क्या है वृश्चिका संक्राति का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

वृश्चिका संक्रांति का शुभ मुहूर्त

वृश्चिका संक्रांति तिथि-  17 नवंबर
वृश्चिका संक्रांति पुण्य कला- 6:48 AM - 12:12 PM
वृश्चिका संक्रांति महापुण्य कला- 6:48 AM - 8:36 AM

क्या होती है संक्रांति

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो 12 राशियों के में सूर्य के प्रवेश को संक्रांति कहते हैं। सूर्य 12 राशियों में, मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों में प्रवेश करते हैं। जिस तरह जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी तरह जब सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है तो इस दिन वृश्चिक राशि मनाई जाती है।

सूर्यदेव की पूजन विधि

1. तड़के सुबह उठकर नित्यक्रिया के बाद स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करके अपने माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
2. इसके बाद तांबे के कलश में जल भरें और उसमें लाल फूल, रोली और अक्षत डालकर ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। 
3. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए पूजा करें। 
4. शाम को सूर्यास्त से पहले गुड़ का हलवा बनाकर सूर्य देवता को चढ़ाएं और इसे प्रसाद के रूप में बांटें।
5. अगर संभव हो तो सूर्य देव की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

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