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Vat Savitri Vrat 2020: पहली बार करने जा रही हैं वट सावित्री व्रत तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान, वरना अधूरी मानी जाएगी पूजा

By मेघना वर्मा | Published: May 22, 2020 8:11 AM

निर्णयामृत ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जानी चाहिए। उत्तर भारत की बात करें तो यहां वट सावत्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को ही किया जाता है।

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ठळक मुद्देवट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।

आज यानी 22 मई को वट सावित्री व्रत है। हिन्दू धर्म में आज के दिन विवाहित महिलाएं बरगद क पेड़ की पूजा करती हैं। मान्यता है कि आज के दिन वट वृक्ष की पूजा करने से पति की आयु लम्बी होती हैं। सिर्फ यही नहीं आपकी शादी-शुदा जिंदगी में भी कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी सही हो जाती है। 

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थी। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। अगर आप पहली बार ये व्रत करने जा रही हैं तो आपको कुछ बातों ध्यान जरूर रखना चाहिए।

पहली बार करने जा रही हैं व्रत तो-

अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं तो ध्यान रखें इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजन करें। सिर्फ यही नहीं बिना पूजा किए किसी भी तरह का अन्न-जल ना ग्रहण करें। सूर्य देव को जल का अर्घ्य जरूर दें। भीगे हुए चने का बायना निकाले। 

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत - 22 मई 2020 अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को शाम 09 बजकर 35 मिनट से अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 08 मिनट तक 

वट सावित्री व्रत पूजा-विधि

1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. अब व्रत का संकल्प लें।3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 

4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।7. फल-मिठाई अर्पित करें। 7. धूप-दीप दान करें।7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।

9. अब व्रत कथा पढ़ें।10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

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