Bajrang Baan: भय मुक्ति और शत्रु मारक है बजरंग बाण, हनुमान जी की आराधना का है सबसे अचूक उपाय, मंगलवार को जरूर करें इसका पाठ
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 5, 2024 06:57 AM2024-03-05T06:57:41+5:302024-03-05T06:57:41+5:30
सामान्य तौर पर भक्त हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करते हैं लेकिन जब किसी अभिष्ट कार्य को सिद्ध करना होता है तो भक्तों द्वारा बजरंग बाण का पाठ किया जाता है।
Bajrang Baan: हिंदू सनातन मान्यता के अनुसार रूद्र के अवतार हुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि बजरंगबली ही ऐसे साक्षात देवता हैं, जो आज भी पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं। सनातन धर्म में वर्तमान समय को कलुयग कहा गया है और इस कलयुग में हनुमान जी मनुष्य के कष्टों का हरण करते हैं। इसलिए उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है।
सामान्य तौर पर भक्त हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करते हैं लेकिन जब किसी अभिष्ट कार्य को सिद्ध करना होता है तो भक्तों द्वारा बजरंग बाण का पाठ किया जाता है।
भक्त यदि हर मंगलवार को हनुमान चालीसा के पाठ के साथ बजरंग बाण का भी पाठ करे तो उसे इसका अचूक लाभ मिलता है। यहां हम आपको बजरंग बाण का पाठ और उससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बता रहे हैं। बजरंग बाण संकटमोचन हुनुमान को प्रसन्न करने का सबसे अमोघ पाठ माना जाता है।
बजरंग बाण बेहद असरकारक और शक्तिशाली माना जाता है। इसलिए हनुमान भक्तों को बजरंग बाण का पाठ तभी करना चाहिए, जब वो किसी विशेष परिस्थिती में हो और उसे कोई निवारण न सूझ रहा हो।
इसलिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि बजरंग बाण का पाठ कैसे किया जाना चाहिए। इसके अलावा यह भी जानना अतिआवश्यक है कि बजरंग बाण के जाप से मनुष्य कैसे विपत्तियों से दूर हो सकता है।
बजरंग बाण का पाठ
॥दोहा॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
॥चौपाई॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता॥
जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु धाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥
पाय परौं कर जोरि मनावों। यह अवसर अब केहि गोहरावों॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल काल मारीमर॥
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा॥
चरण शरण करि जोरि मनावों। यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहे कलेशा॥
॥दोहा॥
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
बजरंग बाण किसने लिखा?
मान्यता है कि रामचरित मानस लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की तरह बजरंग बाण को भी कलमबद्ध किया है। कहते हैं कि एक बार तुलसीदास जी जब काशी के प्रह्लादघाट मुहल्ले में रहते थे तो उस समय किसी तांत्रिक ने उन पर मारण मंत्र का प्रयोग किया, जिसके कारण तुलसीदास जी के शरीर पर बड़े-बड़े फोड़े निकल आए थे।
स्वंय को उस पीड़ा से मुक्त करने के लिए तुलसीदास जी ने पहली बार बजरंग बाण का पाठ किया और बजरंगबली के अपने कष्ट को दूर करने की गुहार लगाई। कहते हैं कि बजरंग बाण के पाठ से तुलसीदास जी के शरीर के सारे फोड़े ठीक हो गए। तभी से मान्यता है कि बजरंग बाण शत्रु विजय के लिए अमोघ है और इसके शक्तिशाली पाठ से शत्रु को पराजय मिलती है।
बजरंग बाण पाठ कैसे करें
भक्तों को बजरंग बाण का पाठ हनुमान चालीसा की तरह प्रतिदिन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका पाठ किसी विशेष कार्य को सिद्ध करने के उद्देश्य से ही किया जाना चाहिए। बजरंग बाण में भक्त पाठ करने समय हनुमान जी को कार्य सिद्ध करने के लिए उनके आराध्य श्रीराम की सौगंध देते हैं। मान्यता है कि श्रीराम की सौगंध लेने के बाद हनुमान जी भक्त की सहायता अवश्य करेंगे।
इसलिए भक्त को प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन प्रातःकाल में स्नान करने के बाद बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इस पाठ में सबसे महत्वपूर्ण है पाठ का स्पष्ट शब्दों में उच्चारण किया जाए। विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाले इस पाठ को भक्त द्वारा नियमित रूप से 11, 21, 31, 41 या 51 दिनों तक करना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ करते समय विशेष रूप से लाल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए।