श्री कृष्ण की मटकी फोड़ लीला कंस के खिलाफ प्रतिरोध का आगाज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 31, 2020 01:22 PM2020-08-31T13:22:59+5:302020-08-31T13:25:45+5:30

राधा जी की छठी पूजन के दिन बरसाना की सांकरी खोर में परंपरागत रूप से मटकी फोड़ लीला का आयोजन किया जाता है! सवाल इस बात का है कि श्री कृष्ण की इस मटकी फोड़ लीला का आखिर संदेश और सरोकार क्या है? 

shree krishna kee matakee phod leela kans ke khilaaph pratirodh ka aagaaj | श्री कृष्ण की मटकी फोड़ लीला कंस के खिलाफ प्रतिरोध का आगाज

राधा जी की छठी पूजन के दिन बरसाना में होता है मटकी फोड़ लीला का आयोजन।

Highlightsश्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन उस वक्त के तत्कालीन सरोकारों के संघर्ष की यात्रा है, जिसका आगाज ब्रज से मटकी फोड़ आंदोलन (लीला) से हुआ! इसे महज लीला का नाम देकर श्रीकृष्ण के सरोकारों की उपेक्षा का अपराध है! ब्रज से मथुरा जाने वाले दूध दही की मटकियों को बीच राह में अपने ग्वाल बालों के साथ फोड़ देने में कौन सी लीला है?

विवेक दत्त मथुरिया

राधा जी की छठी पूजन के दिन बरसाना की सांकरी खोर में परंपरागत रूप से मटकी फोड़ लीला का आयोजन किया जाता है! सवाल इस बात का है कि श्री कृष्ण की इस मटकी फोड़ लीला का आखिर संदेश और सरोकार क्या है? 

श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन उस वक्त के तत्कालीन सरोकारों के संघर्ष की यात्रा है, जिसका आगाज ब्रज से मटकी फोड़ आंदोलन (लीला) से हुआ! इसे महज लीला का नाम देकर श्रीकृष्ण के सरोकारों की उपेक्षा का अपराध है! ब्रज से मथुरा जाने वाले दूध दही की मटकियों को बीच राह में अपने ग्वाल बालों के साथ फोड़ देने में कौन सी लीला है?

श्रीकृष्ण का कोई भी कर्म अकारण नहीं उसमें तत्कालीन सरोकारों का गहरा संदेश छुपा है!  मटकी फोड़ लीला के माध्यम से आतातायी कंस के शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ ब्रज के गोप ग्वालों को लामबंद कर कंस की सामंती सत्ता के खिलाफ ब्रजजनों की बगावत का संदेश दिया!

इसका व्यापक स्वरूप गिरिराज पूजा के रूप देवताओं (सरमायेदार) के राजा इंद्र के मानमर्दन के रूप सुनने को मिलता है! श्रीकृष्ण ने अपनी इन लीलाओं (आंदोलनों) के माध्यम कंस की सामंती सत्ता और देवताओं की सरमायेदारी को खारिज कर ब्रज लोकधर्म की स्थापना का काम किया! 

यही वजह कृष्ण अपने दुख-सुख के साथी नजर आते हैं! मटकी फोड़ लीला के माध्यम से श्रीकृष्ण कंस ने ब्रज से मथुरा के लिए होने वाले दूध-दही की आपूर्ति को रोककर प्रतिरोध और बगावत का पहला संदेश दिया!

कंस के आतंक से डरी-सहमी ब्रज गोपी कृष्ण के समझाने पर नहीं मानती थी तो श्रीकृष्ण अपनी ग्वाल सखा मंडली के साथ दूध दही की मटकियों को फोड़ देते थे! उनका संदेश था दूध दही रास्ते में भले ही फैल जाए पर मथुरा नहीं जाएगा! आज किसान श्रीकृष्ण के इस जनविरोधी और सरमायेदारों की अंध हितैसी व्यवस्था के खिलाफ  अपने प्रतिरोध को दर्ज करामे तो कृष्ण सरोकार मुखर हो उठेंगे!

Web Title: shree krishna kee matakee phod leela kans ke khilaaph pratirodh ka aagaaj

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