लाइव न्यूज़ :

Shiva's Relation With Holi: शिव के नेत्र से भस्म हुए कामदेव का होली से क्या है संबंध, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 18, 2024 06:33 IST

भारत सहित दुनियाभर में रहने वाले हिंदू हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा रात्रि में होलिका दहन करते हैं और उसके अगले दिन होली मनाते हैं।

Open in App
ठळक मुद्देहोली का पर्व होलिका दहन के साथ शुरू होता है फिर अगले दिन रंगों और गुलाल के साथ होली मनाई जाती हैहोली पर लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैंहोली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के तौर भी मनाया जाता है

Shiva's Relation With Holi: हिंदू सनातन धर्म में होली एक प्रमुख त्योहार है। भारत सहित दुनियाभर में रहने वाले हिंदू हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा रात्रि में होलिका दहन करते हैं और उसके अगले दिन होली मनाते हैं। होली का त्योहार होलिका दहन के साथ ही शुरू होता है, फिर इसके अगले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है।

इस बार होलाष्टक 17 मार्च को शुरू हुआ और 24 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं इसलिए होलाष्टक के समय कोई शुभ व मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाता है।

इस होली में साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 3 बजकर 2 मिनट रहेगा। हालांकि ज्योतिष गणनाओं के अनुसार चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए होली पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

होली पर लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। इसके अलावा होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के तौर भी मनाया जाता है। इसके अलावा भी होली को लेकर भारत में कई तरह की पौराणिक कहानियां या किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं।

होली की शिवकथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली को लेकर शिव और कामदेव की एक कथा बेहद प्रचलित है। होली से जुड़ी कामदेव और शिव शंकर की कथा पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन गहन तपस्या में लीन भगवान भोलेनाथ का ध्यान उनकी ओर नहीं गया।

जब मां पार्वती से प्रभु निलकंठ की समाधी नहीं टूटी को प्रेम के देवता कामदेव मां की सेवा में उपस्थित हुए। उन्होंने प्रभु शिव की समाधि भंग करने के लिए उन्हें लक्षित करके पुष्प बाण चला दिया, जिसके कारण महादेव की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने की वजह से भगवान शिव बेहद क्रुद्ध हुए। उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और कामदेव प्रभु शिव के क्रोधग्नि में जलकर भस्म हो गए।

उसके बाद शिव जी ने पार्वती की ओर देखा। इस करह से हिमवान की पुत्री पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया लेकिन कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी पत्नी रति को असमय ही वैधव्य सहना पड़ा। उसके बाद रति ने शिव की घोर आराधना की। जब शिव अपने निवास पर लौटे, तो कहते हैं कि रति ने भोलनाथ को अपनी सारी व्यथा और कामदेव के बिना अपना जीवन नर्क के समान बताया।

रति कि करूण दशा देखकर प्रभु शिव को भान हुआ कि कामदेव तो सर्वथा निर्दोष हैं क्योंकि उन्होंने माता पार्वती की सहायता के लिए उनपर पुष्पबाण चलाया था। दरअसल पूर्व जन्म में हुए दक्ष प्रसंग में प्रभु शिव को अपमानित होना पड़ा था। दक्ष द्वारा किये गये शिव के अपमान से आहत होकर दक्षपुत्री सती ने आत्मदाह कर लिया था। उन्हीं सती ने पार्वती के रूप में जन्म लिया और इस जन्म में भी शिव का ही वरण किया। कामदेव का दोष मात्र इतना था कि उन्होंने प्रभु की समाधि तुड़वाने में मां पार्वती का सहयोग किया था।

इसके बाद शिव जी कामदेव को जीवित कर दिया। उसे नया नाम दिया मनसिज। प्रभु शिव ने कहा कि अब तुम अशरीरी हो। उस दिन फागुन की पूर्णिमा थी। आधी रात गए लोगों ने होली का दहन किया था। सुबह तक उसकी आग में वासना की मलिनता जलकर प्रेम के रूप में प्रकट हो चुकी थी।

कामदेव अशरीरी भाव से नए सृजन के लिए प्रेरणा जगाते हुए विजय का उत्सव मनाने लगे। यही दिन होली का दिन होता है। उत्तर भारत में वहीं कई जगहों पर होली के समय आज भी रति के विलाप को लोकधुनों और संगीत में उतारा जाता है।

टॅग्स :होलीभगवान शिवधार्मिक खबरेंधर्महिन्दू धर्मअध्यात्म
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

भारतअसमः एक से ज्यादा शादी किया तो जुर्म?, मुख्यमंत्री हिमंत ने कहा- धर्म से परे और इस्लाम के खिलाफ नहीं?, जानें क्या है कानून

भारत'बिना हिंदुओं के दुनिया नहीं रहेगी...', RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में किया बड़ा दावा

भारतVIDEO: बागेश्वर बाबा की पदयात्रा में जया किशोरी भी शामिल, देखें वायरल वीडियो

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार