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Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी पर कैसे करें शीतला माता की पूजा, जानिए पूजा विधि से जुड़ी 10 सबसे खास बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 16, 2020 11:35 IST

Sheetla Ashtami: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 17 मार्च को तड़के 02.59 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त आज सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक है।

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ठळक मुद्देSheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी पर आज पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:48 बजे तकरोगों को दूर करती हैं शीतला माता, चैत्र कृष्ण अष्टमी को किया जाता है व्रत

Sheetla Ashtami:शीतला अष्टमी का व्रत आज यानी 16 मार्च को किया जा रहा है। यह माता शीतला की पूजा करने का दिन है। यह व्रत हर साल  चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतला माता को प्रसन्न करने से साधक और उसका परिवार भी तमाम रोगों से दूर रहता है। शीतला अष्टमी को ही कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहा जाता है।

इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत तड़के  03.19 बजे से हो चुकी है। इसका समापन 17 मार्च को तड़के 02.59 बजे होगा। शीतला माता का आशीर्वाद पाने के लिए सप्तमी और अष्टमी दोनों दिन व्रत किया जाता है। शीतला अष्टमी पर पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक है। ऐसे में आईए हम आपको शीतला माता के पूजन से जुड़ी 10 सबसे खास बातें बताते हैं।

Sheetla Ashtami 2020: शीतला माता के पूजन की 10 सबसे खास बातें

1. शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए। संभव है तो इसमें गंगा जल भी थोड़ मिला लें।

2. पूजा से पहले साफ-सुथरे वस्त्र ही पहनें

3. इसके बाद पूजा की तैयारी शुरू करें। एक थाली में थोड़ा दही, मीठे चावल, पुआ, पकौड़ी, नमक पारे, रोटी, शक्कर पारे, बाजरा आदि जो भी एक दिन पहले बनाया था, उसे रखें।

4. वहीं, दूसरी थाली में रोली, चावल, मेहंदी, काजल, हल्दी, लच्छा (मोली), वस्त्र, माला और सिक्का रखें।

5. एक ठंडे जल से भरा पात्र भी रखें।

6. इसके बाद आटा गूंथकर उससे एक छोटा दीपक बना लें। इस दीपक में रुई की बत्ती घी में डुबोकर लगा लें। इसे जलाना नहीं है और ऐसे ही माता को चढ़ाया जाना चाहिए।

7. इसके बाद पूजा शुरू करें। माता को रोली और हल्दी से टीका करें। उन्हें वस्त्र, मेंहदी, काजल आदि जो आप लेकर आए हैं, अर्पित करें।

8. माता को जल चढ़ाए और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों पर लगाए। 

9. कुछ जल घर के हिस्सों में भी छिड़के। बचे हुए पानी को घर आकर पूजा के स्थान पर रखें। अगर पूजा सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दें। पूजा के लिए आप मंदिर भी जा सकते हैं। वहां भी विधिवत माता की पूजा करें।

10. आखिर में घर में पानी रखने की जगह की भी पूजा करें। मटकी, नल आदि की भी पूजा करें। प्रसाद को फिर घर वालों में बांट दें। बचे हुए प्रसाद को गाय को भी खिला सकते हैं।

टॅग्स :शीतला अष्टमीहिंदू त्योहार
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