Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के नौ दिन करें 9 देवियों की पूजा, जानिए हर एक का महत्व
By अंजली चौहान | Updated: September 7, 2025 05:15 IST2025-09-07T05:15:36+5:302025-09-07T05:15:36+5:30
Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के नौ दिन करें 9 देवियों की पूजा, जानिए हर एक का महत्व
Shardiya Navratri 2025: हिंदू धर्म में मां दुर्गा को समर्पित नौ दिनों के त्योहार नवरात्रि की खास महत्वता है। हर साल नवरात्रि मनाई जाती है जो कि साल में दो बार आती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 को शुरू होगी जो कि 2 अक्तूबर को दशहरा के साथ खत्म होगी। इस दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
यह उत्सव 2 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन समाप्त होगा। प्रत्येक दिन एक विशिष्ट देवी को समर्पित है, जिनमें शैलपुत्री (शक्ति), ब्रह्मचारिणी (भक्ति), चंद्रघंटा (साहस), कूष्मांडा (रचनात्मकता), स्कंदमाता (करुणा), कात्यायनी (दृढ़ संकल्प), कालरात्रि (निर्भयता), महागौरी (पवित्रता) और सिद्धिदात्री (आध्यात्मिक शक्ति) शामिल हैं। पूजा में समृद्धि, बुद्धि और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए घटस्थापना, उपवास और जप जैसे अनुष्ठान शामिल हैं।
नौ देवियाँ और उनके रूप
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। हर एक रूप का अपना एक विशेष महत्व और कहानी है:
1- माँ शैलपुत्री: यह माँ दुर्गा का पहला स्वरूप है, जिनकी पूजा पहले दिन की जाती है। 'शैल' का अर्थ है पर्वत और 'पुत्री' का अर्थ है बेटी, यानी पर्वतराज हिमालय की पुत्री। उनका वाहन बैल है और वह एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल धारण किए हुए हैं। उनकी पूजा से भक्तों को स्थिरता और शक्ति मिलती है।
2- माँ ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन इनकी पूजा होती है। 'ब्रह्म' का अर्थ तपस्या और 'चारिणी' का अर्थ आचरण करने वाली है। यह माँ का अविवाहित रूप है, जो घोर तपस्या का प्रतीक है। वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके हाथों में कमंडल और जपमाला है। इनकी पूजा से तप, वैराग्य और संयम की प्राप्ति होती है।
3- माँ चंद्रघंटा: तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके 10 हाथ हैं और हर हाथ में कोई न कोई शस्त्र है। वह शेर पर सवार हैं और अपने भक्तों को साहस, शक्ति और निडरता प्रदान करती हैं।
4- माँ कूष्मांडा: चौथे दिन इनकी पूजा होती है। माना जाता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति माँ कूष्मांडा की हंसी से हुई है, इसलिए इन्हें 'सृष्टि की आदि शक्ति' भी कहा जाता है। इनका वाहन शेर है और इनके आठ हाथ हैं। इनकी पूजा से भक्तों को रोग-मुक्त जीवन और समृद्धि मिलती है।
5- माँ स्कंदमाता: पाँचवें दिन इनकी पूजा की जाती है। वह कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। वह सिंह पर विराजमान हैं और उनकी गोद में शिशु स्कंद हैं। इनकी पूजा से भक्तों को संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
6- माँ कात्यायनी: छठे दिन इनकी पूजा होती है। माना जाता है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। इनका वाहन सिंह है और यह युद्ध की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को साहस और सफलता मिलती है।
7- माँ कालरात्रि: सातवें दिन इनकी पूजा होती है। यह माँ दुर्गा का सबसे विकराल रूप हैं, जो अंधकार और बुराई को खत्म करती हैं। इनका रंग काला है, तीन नेत्र हैं और वह गधे पर सवार हैं। इनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
8- माँ महागौरी: आठवें दिन इनकी पूजा होती है। यह माँ का शांत और सौम्य रूप है। इनका रंग गौर (सफेद) है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। वह बैल पर सवार हैं और इनकी पूजा से भक्तों को पापों से मुक्ति और शांति मिलती है।
9- माँ सिद्धिदात्री: नौवें दिन इनकी पूजा होती है। 'सिद्धि' का अर्थ है मोक्ष और 'दात्री' का अर्थ है देने वाली। यह सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं। इनका वाहन सिंह है और ये कमल पर विराजमान हैं। इनकी पूजा से भक्तों को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व राक्षस महिषासुर पर माँ दुर्गा की विजय का जश्न मनाता है। इन नौ दिनों में देवी शक्ति की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने का भी बहुत महत्व है। यह न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता भी प्रदान करता है। इस दौरान लोग गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य भी करते हैं, जो इस उत्सव को और भी रंगीन बनाते हैं।