Navratri 2021: मां दुर्गा की छठा रूप हैं मां कात्यायनी, जानें पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती

By रुस्तम राणा | Published: October 10, 2021 02:23 PM2021-10-10T14:23:38+5:302021-10-10T14:27:11+5:30

मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिने ओर के एक हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में है। वहीं बाएं के ओर के हाथों में तलवार और पुष्प सुशोभित है। वे सिंह पर सवार हैं।

Shardiya Navratri 2021 maa katyayani puja vidhi matra aarti and katha | Navratri 2021: मां दुर्गा की छठा रूप हैं मां कात्यायनी, जानें पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती

मां कात्यायनी

Highlightsमां कात्यायनी शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि की हैं देवीमहर्षि कात्यायन की पुत्री होने के नाते पड़ा कात्यायनी नाम

शारदीय नवरात्रिमां दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा विधि-विधान से की जाती है। मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठी शक्ति हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों के समस्त प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिने ओर के एक हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाला वरमुद्रा में है। वहीं बाएं के ओर के हाथों में तलवार और पुष्प सुशोभित है। वे सिंह पर सवार हैं। उन्हें शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि की देवी कहा जाता है। शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। नवरात्रि में आप मां कात्यायनी की विधि-विधान और मंत्र, आरती सहित आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।  

मां कात्यायनी की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत और पूजा का संकल्प लें। मां को गंगाजल से स्नान करा कर स्थापित करें। मां को श्रृंगार अर्पित करें। उन्हें सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप-दीप, पुष्प, फल प्रसाद आदि से देवी की पूजा करें। इसके बाद उन्‍हें पीले फूल, कच्‍ची हल्‍दी की गांठ और शहद अर्पित करें। मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। आरती के बाद सभी में प्रसाद वितरित कर स्‍वयं भी ग्रहण करें।

मां कात्यायनी को प्रसन्न करने का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कात्यायनी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने कठोर तप करके मां दुर्गा को प्रसन्न किया। जब मां दुर्गा ने उन्हें दर्शन दिए तो उन्होंने मां को पुत्री के रूप में अपने घर लेने की इच्छा व्यक्त की। मां ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। जब धरती पर महिषासुर राक्षस का आतंक बढ़ा तब त्रिदेव के अंश से देवी ने महर्षि के घर जन्म लेकर राक्षस का वध किया। देवी का जन्म महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है।

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

Web Title: Shardiya Navratri 2021 maa katyayani puja vidhi matra aarti and katha

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