Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गई है। अगले नौ दिन शक्ति की देवी माता दुर्गा की नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की परंपरा है। इसके बाद ही पूजा-पाठ की शुरुआत होती है जो 9 दिनों तक जारी रहती है। इस बार नवरात्रि में कोई तिथि क्षय नहीं है। ऐसे में पूरे नौ दिन नवरात्रि है। आइए हम आपको नवरात्रि पर कलश स्थापना से लेकर पहले दिन दिन के मंत्र सहित इससे जुड़ी तमाम बातें बताते हैं-
Navratri: कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
26 सितंबर से अश्विन मास के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो रही है। प्रतिपदा सुबह 03.23 बजे से शुरू हो चुका है और इसका समापन 27 की सुबह 03.08 मिनट पर होगा। आज अमृत काल 06.11 से 07.41 तक है। शुभ समय- 09.11 से 10.42 तक (शुभ चौघड़िया) है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.48 बजे से दोपहर 12.36 तक ( स्थिर लग्न, वृश्चिक, सर्वश्रेष्ठ समय) है। ये भी समय कलश स्थापन के लिए शुभ हैं।
हाथी पर सवार होकर आ रही हैं माता
नवरात्र पर इस बार माता दुर्गा हाथी की सवारी पर पृथ्वी लोक में आ रही हैं। वहीं, विजयदशमी को बुधवार के दिन नौका की सवारी से मां वापस जाएंगी। इस बार 3 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी, 4 को महानवमी होगी। नवरात्रि की सभी तिथियां 26 सितंबर से 4 अक्तूबर तक एक सीधे क्रम में रहेंगी। कोई तिथि क्षय इस बार नहीं है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। ऐसी मान्यता है कि अगर जातक शैलपुत्री का ही पूजन करते हैं तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए कई ऐसे लोग जो 9 दिन का उपवास नहीं कर पाते या पूजन नहीं कर पाते वे पहले दिन शैलपुत्री की पूजा जरूरत करते हैं।
कलश स्थापना और अखण्ड ज्योति से जुड़े नियम
कलश को ईशानकोण में स्थापित करें। इस पर स्वास्तिक बनाएं और पांच बार कलावा बांधे। साथ ही 5, 7 या 9 आम के पत्ते लगाएं। रोली, चावल, सुपारी, लौंग, सिक्का अर्पित कर ईशानकोण में कलश स्थापित करें।
वहीं अखण्ड ज्योति के लिए आप तेल या घी किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि घी का दीपक दाहिनी तरफ और तेल का दीपक बाईं तरफ रखा जाएगा। दीपक को एक लौंग का जोड़ा अवश्य अर्पित करें।