Shravan 2019: अद्भुत है मिथिलांचल का मधुश्रावणी पर्व, नव विवाहिता महिलाओं के लिए होता है खास मौका

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 24, 2019 11:21 IST2019-07-24T10:54:41+5:302019-07-24T11:21:22+5:30

मधुश्रावणी व्रत महिलाएं मायके में मनाती हैं। इस दौरान नवविवाहिता नमक नहीं खाती हैं और जमीन पर सोती हैं। रात में वे ससुराल से आए अन्न से ही तैयार भोजन ग्रहण करती हैं।

Sawan 2019 MadhuShravani poja of Mithilanchal Bihar and its significance | Shravan 2019: अद्भुत है मिथिलांचल का मधुश्रावणी पर्व, नव विवाहिता महिलाओं के लिए होता है खास मौका

मिथिलांचल में मनाया जाता है मधुश्रावणी पर्व

Highlightsबिहार के मिथिलांचल का मुख्य पर्व है मधुश्रावणीमधुश्रावणी का पर्व नव विवाहिता अपने मायके में मनाती है, पति के लंबे उम्र की होती है कामनामधुश्रावणी पर्व के दौरान गौरी-शंकर की होती है विशेष पूजा

बिहार के मिथिलांचल के सबसे खास व्रत मधुश्रावणी की शुरुआत हो गई है। मिथिलांचल क्षेत्र माता सीता का भी जन्मस्थान है। 15 दिनों तक चलने वाले नवसुहागिनों के इस व्रत का समापन तीन जुलाई को होगा। इस व्रत की शुरुआत सोमवार से हो गई थी। इस व्रत में नवविवाहिता महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने और घर में सुख शांति की कामना करती हैं। इस पूरे व्रत के दौरान गौरी-शंकर का विशेष पूजन महिलाएं करती हैं। साथ ही नवविवाहिताओं को शिवजी-पार्वती सहित मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, पतिव्रता, महादेव कथा, गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा जैसे 14 खंडो की कथा सुनाई जाती है।

इन कथा-कहानियों मे शंकर-पार्वती के चरित्र के माध्यम से पति-पत्नी के बीच होने वाली बाते जैसे नोक-झोंक, रूठना मनाना, प्यार, मनुहार जैसी बातों का भी जिक्र होता है ताकि नव दंपती इनसे सीखकर अपने जीवन को सुखमय बनायें। 

मधुश्रावणी 2019: ससुराल से आए अन्न से तैयार होता है भोजन

मधुश्रावणी व्रत महिलाएं मायके में मनाती हैं। इस दौरान नवविवाहिता नमक नहीं खाती हैं और जमीन पर सोती हैं। रात में वे ससुराल से आए अन्न से ही तैयार भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा-अर्चना के लिए मिट्टी से नाग-नागिन, हाथी, गौरी, शिव की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर इनका पूजन फूलों, मिठाइयों और फलों को अर्पित कर किया जाता है। पूजा के लिए रोजाना ताजे फूलों और पत्तों का ही इस्तेमाल किया जाता है।

यह पर्व इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें पूजन के लिए किसी पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती है। गांव की ही बुजुर्ग महिलाएं नवविवाहिताओं को मधुश्रावणी से जुड़ी कथाएं सुनाती हैं। पूजन के सातवें, आठवें और नौवें दिन प्रसाद के रूप में खीर और रसगुल्ले का भोग भगवान को लगाया जाता है। इससे पहले मधुश्रावणी शुरू होने से एक दिन पहले नहाय खाय होता है इसके बाद ही नवविवाहिता महिलाएं अनुष्ठान की शुरुआत करती हैं।

मधुश्रावणाी: पर्व के दौरान लोकगीतों की बहती है बयार

इस पूरे पर्व के दौरान मैथिली भजनों और लोकगीतों की आवाज हर घर से आती है। हर शाम महिलाएं आरती करती हैं और गीत गाती हैं। यह पूरा पर्व महिलाएं नवविवाहित दुल्हन के रूप में सजधज कर मनाती है। पूजा के आखिरी दिन पति को पूजा में शामिल होना होता है। साथ ही पूजा के आखिरी दिन ससुराल से बुजुर्ग नये कपड़ों, मिठाई, फल आदि के साथ पहुंचते हैं और सफल जीवन का आशीर्वाद देते हैं।

English summary :
Mithilanchal most special fasting festival Madhushravani has begun. Mithilanchal area is also the birthplace of Mata Sita. This fast of Navasahgins who last 15 days will end on July 3. This fast started on Monday.


Web Title: Sawan 2019 MadhuShravani poja of Mithilanchal Bihar and its significance

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