भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है। कहते हैं हर शुभ काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाए तो सारी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। भगवान गणेश से जुड़े हुए सभी व्रतों पर लोग उनकी उपासना करते हैं। इन्हीं व्रतों में से एक है संकष्टी चतुर्थी का पर्व।
वहीं पंचाग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को भगवान गणेश की संकष्टी चतुर्थी का तीज पड़ता है। इस बार ये पर्व 11 अप्रैल को पड़ रहा है। माना जाता है कि जो भी उपासक इस दिन गणेश भगवान की पूजा करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आइ आपको बताते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
घर में होता है सुख-शांति का वास
संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को कहते हैं। वहीं अमावस्य के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। वहीं व्रत रखने वाली की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
बन जाएंगे बिगड़े काम
वैसे तो माना जाता है कि भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद होते हैं। मगर आप उन्हें दही और चीनी का भी भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि अगर आपके जीवन में लगातार परेशानियां चल रही हों या आपका कोई काम, बन ना रहा हो तो संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दही और चीनी का भोग लगा दीजिए। ध्यान रहें दही-चीनी को छाया देकर ही भगवान गणेश को अर्पित करें। आप चाहें तो गणपति को दुर्वा भी अर्पित कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी - 10 अप्रैलचतुर्थी तिथी आरंभ - 9 बजकर 31 मिनट(10 अप्रैल)चतुर्थी तिथि समांपत - 7 बजकर एक मिनट (11 अप्रैल)
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 2. अब भगवान गणेश का स्मरण करके व्रत का संकल्प लें।3. अब पूजा घर या पवित्र स्थान पर लाल या पीला कपड़ा लेकर चौकी पर बिछाएं और उस पर गणेश जी को विराजमान करें।4. अब प्रतिमा या तस्वीर पर गंगाजल छिड़कें।