लाइव न्यूज़ :

मानवीय कर्म की उलझी हुई गुत्थी को सुलझाती सद्गुरु जग्गी वासुदेव की किताब- 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 3, 2023 13:30 IST

सद्गुरु जग्गी वासुदेव की पुस्तक 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य' में आधुनिकता की रफ्तार भरी जिंदगी में मनुष्य की कार्यशैली को रेखांकित करते उस कर्म की व्याख्या कर रहे हैं, जो त्याग और सद्इच्छा से आत्मकेंद्रीत न होकर समाज के कल्याण के लिए हो।

Open in App
ठळक मुद्देमानव को सदैव वैसा कर्म करना चाहिए, जो उसे पवित्रता और सात्विकता की राह पर ले जाएसद्गुरु जग्गी वासुदेव अपनी पुस्तक 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य' में इसी का जिक्र कर रहे हैंवो लिखते हैं, धागे की खातिर कोई हार नहीं पहनता लेकिन धागे के बिना हार बन भी नहीं सकता!

कर्म मनुष्य के जीवन का वह सिद्धांत है, जो पशुओं से उसे पृथक करता है। गीता में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कर्म ही मनुष्य के प्रारब्ध का नियंता बनता है। इसलिए मानव को मन से, वचन से और कर्म से पवित्रता और सात्विकता की राह पर चलना चाहिए। आज जब हम 21वीं सदी में हैं, जब हम खुले बाजारवाद और उपभोक्तावाद की जड़ में जकड़ते जा रहे हैं।

जब अनवरत महत्वाकांक्षाएं हमें घेरे हुए हैं तो हमें उस दिशा और दशा से निकालकर कर्म के सत्मार्ग पर ले जाने के लिए आध्यात्मिक सद्गुरु जग्गी वासुदेव की कलम से एक पुस्तक निकली, जिसका नाम 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य' है। इस किताब को पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की ओर से प्रकाशित की गई है। जिसका मूल्य 250 रुपये है।

ईशा फाउंडेशन की नींव रखने वाले सद्गुरु जग्गी वासुदेव इस किताब में कहते हैं कि आधुनिकता के इस रफ्तार भरी जिंदगी में मनुष्य की कार्यशैली और उसके सोच में साम, दम, दंड और भेद जैसी प्रवृत्ति इतनी हावी हो गई है कि उसके अंतरात्मा की कोटरी में बैठी आत्मविश्लेषण करने वाली तार्किकता सुषुप्त अवस्था में जा चुकी है और मोह के वशीभूत होकर इंसान भौतिक संसार के कर्मों को सच्चा कर्म मान बैठा है और उसी के अनुरूप अपने जीवन में आचरण करने लगा है।

पुस्तक 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य' के पृष्ठ संख्या 11 पर सद्गुरु लिखते हैं, "कभी-कभी ऐसा क्यों महसूस होता है कि भगवान अगर सच में मौजूद हैं तो वे जरूर दुनिया के साथ खेल रहे होंगे? दुनिया इतनी अव्यवस्थित और अनियंत्रित क्यों लगती है? शायद, इन सवालों से हैरान इंसान के 'क्यों' का जवाब कोई दूसरा शब्द इतने अच्छे से नहीं देता है, जैसा की कर्म ने दिया है या दे सकता है।"

कर्म शरीर, मन और ऊर्जा के कार्य को दर्शाता है लेकिन कर्म मूलरूप से कहीं ज्यादा आपके कार्य करने के इरादे के बारे में है। यह बहुत मायने रखता है कि आपका इरादा क्या है। अगर आप प्रेमवश कुछ कहते हैं और दूसरे व्यक्ति को चोट पहुंचती है तो वह उसका कर्म है, आपका नहीं। लेकिन अगर आप नफरत से कुछ कहते हैं और दूसरे व्यक्ति को इससे कोई समस्या नहीं होती है तो यह उसके लिए अच्छा कर्म है, आपके लिए नहीं। उस दिशा में मनु्ष्य नकारात्मक कर्म इकट्ठा करता है। आपकी नफरत के प्रति दूसरा कैसे प्रतिक्रिया देता है, वह मुद्दा नहीं है। कर्म का संचय आपके इरादे से तय होता है न कि किसी दूसरे पर उसके असर से।

सद्गुरु की यह पुस्तक 'कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्य' कुछ-कुछ गीता का अंश तत्व मालूम पड़ती है, जिसमें उन्होंने भौतिक जगत के मानवीय उदाहरणों के देते हुए कर्म की बेहद सरल भाषा में व्याख्या की है। जिस प्रकार से गीत में श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अर्जुन से अन्याय और अधर्म के पक्ष में खड़े स्वजनों के विरोध में गांडीव की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आह्वान करते हैं।

गीता में श्री कृष्ण अपने विराट स्वरूप में अर्जुन को यह बताते हैं कि तुम्हें केवल फल रहित कर्म करना है क्योंकि मनुष्य को कर्मों के अनुरूप ही फल की प्राप्ति होगी। फल के अनुरूप कर्म नहीं होते। यदि मनुष्य अच्छा कर्म करेगा तो उसका परिणाम भी अच्छा होगा लेकिन यदि कर्म में फल की कामना प्रधान होती है तो मन भ्रमित होगा और उस कारण वो कर्म के मार्ग से विमुख भी हो सकता है।

गीता में बताई इन्हीं बातों को सद्गुरु ने बेहद सुंदर शब्दों में रेखांकित किया है। वैसे लोग, जो कर्म के अंतर्द्वंद्व को मन की कोटरी में तलाश रहे हैं। यह किताब उनके लिए आध्यात्मिक साधन है, भौतिक संसार में कैसा हो मनुष्य का कर्म या कैसे अपने कर्मों को सकारात्मक रूप से सत्य के रास्ते पर ले जाए। इसे जानने के लिए इस पुस्तक का अध्ययन सभी लोगों को करना चाहिए।

पुस्तक का नाम- कर्म- एक योगी के मार्गदर्शन में रचें अपना भाग्यलेखक- सद्गुरु जग्गी वासुदेवप्रकाशक- पेंगुइन रैंडम हाउस इंडियामूल्य- 250 रुपये

टॅग्स :पुस्तक समीक्षाकला एवं संस्कृतिहिंदी साहित्य
Open in App

संबंधित खबरें

भारतछत्तीसगढ़: हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

बॉलीवुड चुस्कीMalaika Arora: सफलता की राह पर कई उतार-चढ़ाव, लेखिका के रूप में शुरुआत करने को तैयार मलाइका अरोड़ा

भारतअपनी शब्दों की गहराई से दिल को छूता साहित्य, भावनात्मक सौंदर्य को और निखारकर अमर बना देती कला?

विश्वकौन हैं डेविड स्जेले?,  किरण देसाई को हराकर 2025 का बुकर पुरस्कार जीता

भारतसेपियंस से इनसान की प्रवृत्ति समझाते हरारी, सांकृत्यायन और नेहरू

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार