सबरीमाला में आज शाम से शुरू होगी मंडला पूजा, 41 दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान के लिए भक्त करते हैं कठिन तपस्या

By मेघना वर्मा | Published: November 16, 2019 12:13 PM2019-11-16T12:13:48+5:302019-11-16T12:13:48+5:30

सबरीमाला मंदिर में मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन एक ज्योति नजर आती है। जिसे देखने के लिए लोग भारी संख्या में यहां इकट्ठा होते हैं।

sabrimala temple mandala pooja 2019 time, date, history of sabarimala temple and mandala pooja | सबरीमाला में आज शाम से शुरू होगी मंडला पूजा, 41 दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान के लिए भक्त करते हैं कठिन तपस्या

सबरीमाला में आज शाम से शुरू होगी मंडला पूजा, 41 दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान के लिए भक्त करते हैं कठिन तपस्या

Highlightsमंडला पूजा में श्रद्धालु तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहने हैं।मंडला पूजा भगवान अयप्पा के भक्तों द्वारा 41 दिन की कठिन और लंबी तपस्या का अंतिम दिन होता है।

देशभर में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बातें चल रही हैं। वहीं मंदिर की परंपरा के अनुसार 800 साल पुराने इस प्रक्रिया को लेकर लगातार विवाद हो रहा है। माना जाता है कि भगवान अयप्पा नित्य ब्रह्मचारी हैं इसी वजह से मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं का आना वर्जित है। इन्हीं सब के बीच सबरीमाला में होने वाली मंडला पूजा या मंडल व्रतम की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। इस साल यह पूजा 16 नवंबर की शाम से शुरू हो जाएगी। 

दरअसल मंडला पूजा भगवान अयप्पा के भक्तों द्वारा 41 दिन की कठिन और लंबी तपस्या का अंतिम दिन होता है। सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में धनु मास के दौरान यानी जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तब ये पूजा की जाती है। इस व्रत की शुरूआत 41 दिन पहले यानी मलयालम कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है तब से होती है। इसे सबरीमाला अयप्पा मंदिर के सबसे प्रसिद्ध कार्यक्रम में गिना जाता है। 

भगवान गणेश का होता है आव्हान

मंडला पूजा में श्रद्धालु तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहने हैं। जो भगवान अयप्पा को बहुत पसंद हैं। भक्त चंदन का लेप भी लगाते हैं। 41 से 56 दिनों तक चलने वाली इस पूजा के दौरान भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं। साथ ही भजन-कीर्तन भी करते हैं। इस बीच रोजाना भक्त भगवान अयप्पा के दर्शन जरूर करते हैं। 

जलता है चमत्कारिक दीया

सबरीमाला मंदिर में मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन एक ज्योति नजर आती है। जिसे देखने के लिए लोग भारी संख्या में यहां इकट्ठा होते हैं। यहां के लोगों की आस्था है कि इस ज्योत को कोई और नहीं बल्कि खुद भगवान के द्वारा जलाया जाता है। इसे देखने के लिए लोग ना सिर्फ कई दिनों पहले से यहां आते हैं बल्कि घंटों लाइन में लगकर इसे देखते हैं। 

कौन है भगवान अयप्पा

पुरानी कथाओं की मानें तो भगवान अयप्पा को भगवान शिव और माता मोहिनी का पुत्र मानते हैं। मोहिनी भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं। जिन्होंने समुद्र मंथन के दौरान दानवों का ध्यान भटकाने के लिए अवतार लिया था। शिव और विष्णु से उत्पन्न होने के कारण भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र भी करते हैं। 

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