रामनवमी (Ram Navami 2019) का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। रावण के अत्याचारों का खात्मा करने के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के घर में भगवान श्री राम के रूप में अवतार लिया था। इस साल यह पर्व कुछ जगहों पर 13 और कुछ जगहों पर 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।
राम नवमी के दिन देशभर में मंदिरों को फूलों और लाइट्स से सजाया जाता है। भक्तगण पूरे दिन मंत्रों का जाप करते हैं। वैदिक जप के साथ विशेष हवन आयोजित करते हैं और फल और फूल चढ़ाते हैं। भक्त मंदिरों में रामलला की मूर्तियां और चित्र पालने में रखे जाते हैं।
बहुत से लोग इस अवसर पर उपवास करते हैं, जिसे श्री राम का आशीर्वाद माना जाता है। उपवास की प्रक्रिया सुबह शुरू होती है और अगली सुबह तक चलती है। व्यक्ति की सुविधा और क्षमता के आधार पर, विभिन्न प्रकार के उपवासों की सलाह दी जाती है। यह दिन चैत्र नवरात्री का आखिरी दिन होता है।
राम नवमी पूजा मुहूर्त (Rama Navami Vrat, Puja Muhurat Time)
राम नवमी पूजा मुहूर्त = 11:06 से 13:38 तकअवधि = 2 घंटे 31 मिनटरमा नवमी मध्याहन गति = 12:22
वैष्णव राम नवमी 14 अप्रैल, 2019 को हैनवमी तिथि शुरू होगी- 13 अप्रैल, 2019 को सुबह 11:41 बजेनवमी तिथि समाप्त होगी- 14 अप्रैल, 2019 को सुबह 06: 00 बजे
चैत्र नवरात्री का नौवां दिन (The 9th Day Of The Chaitra Navratri)
गंगा पुलकित पंचांग, विश्वविद्यालय पंचांग और हृषिकेश पंचांगों के अनुसार शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 11.56 बजे से 12.47 बजे के बीच है। इसी दौरान जन्मोत्सव होगा। उनके अनुसार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 8.19 बजे से 14 अप्रैल की सुबह 6.04 बजे तक है। शनिवार को ही चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मघ्याह्न काल पड़ रहा है। इसी समय भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए शनिवार को ही रामनवमी मनाया जा रहा है।
राम नवमी का महत्व (The Significance of Rama Navami)
यह पर्व अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र तथा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जता है। इस शुभ तिथि को भक्त रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है। यह शिव के उपासकों द्वारा भी व्यापक रूप से मनाया जाता है।
राम नवमी कहानी और इतिहास (Rama Navami Story/History)
अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी. ऐसा कहा जाता है कि तीनों में से किसी से भी कोई लड़का नहीं था. शादी के कई साल बाद भी राजा दशरथ पिता नहीं बन पाए। तब महान ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें पुण्य कामस्थी यज्ञ करने की सलाह दी। महान ऋषि महर्षि रुशया शरुंगा ने सबसे विस्तृत तरीके से अनुष्ठान किया। राजा को पयसाम (खीर) का कटोरा सौंपा गया और अपनी पत्नियों के बीच उसे वितरित करने के लिए कहा गया।
राजा ने अपनी बड़ी पत्नी कौशल्या को आधा खीर दिया और दूसरा आधा अपनी छोटी पत्नी कैकेयी को उसके पश्चात दोनों पत्नियां अपने हिस्से का आधा हिस्सा सुमित्रा को देती हैं। पवित्र भोजन के इस असमान वितरण से 9 महिने बाद कौशल्या और कैकेयी दोनों एक-एक पुत्र को जन्म देती हैं, जबकि सुमित्रा जुड़वां पुत्र को जन्म देती हैं। यह दिन अयोध्या में अंतिम उत्सव में से एक था, जहां न केवल शाही परिवार, बल्कि हर निवासी ने राहत की सांस ली और इस चमत्कार के लिए भगवान को धन्यवाद दिया।
राम नवमी और जुलूस (Ram Navami And Processions)
रामराज्य के संपूर्ण धार्मिक शासन को शांति और समृद्धि दोनों के काल के रूप में वर्णित किया गया है। उत्तर भारत में भक्त राम नवमी के दिन बड़े धूमधाम से भव्य रथ यात्रा निकालते हैं। रथ में भगवान राम, पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और भक्त भगवान हनुमान शामिल रहते हैं।
महत्वपूर्ण स्थान (The Places Of Importance)
अयोध्या, बिहार के सीता समाहित स्थल, आंध्र प्रदेश के भद्राचलम और तमिलनाडु के रामेश्वरम में अनुष्ठान और पूजा-अर्चना आयोजित की जाती हैं। हजारों लोग पवित्र सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं। राम नवमी 13 अप्रैल को निम्न राज्यों में मनाई जाएगी: बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा 14 अप्रैल को यह आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना, सिक्किम।