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निर्जला एकादशी 2020: निर्जला एकादशी आज, इस 1 विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, होगी विष्णु लोक की प्राप्ति

By मेघना वर्मा | Published: June 02, 2020 6:15 AM

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशियों में भगवान विष्‍णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

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ठळक मुद्देनिर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।निर्जला व्रत इस साल 2 जून को पड़ रही है।

आज देशभर में निर्जला एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। जिसे कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।

माना जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस एकादशी व्रत को करने से मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहते हैं।

निर्जला व्रत इस साल 2 जून को पड़ रही है। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशियों में भगवान विष्‍णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।

निर्जला एकादशी तिथि - 2 जून 2020एकादशी तिथि प्रारम्भ - 1 जून दोपहर 2 बजकर 57 मिनट परएकादशी तिथि समाप्त - 2 जून को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर

निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान

निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पहले से ही आप सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का भी पालन अनिवार्य रूप से करें।

निर्जला एकादशी की पूजा विधि

1. व्रत के दिन तड़के उठकर स्नान करें 2. स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करें।3. भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं। 4. दीप जलाएं और आरती करें। 5. आप इस दौरान- 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का भी जाप करें।6. किसी गौशाला में धन या फिर प्याऊ में मटकी आदि या पानी का दान करें। 7. शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी भी पूजा करें।8. व्रत के बाद अगले दिन सुबह उठकर और स्नान करने के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। 9. साथ ही गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। 10. इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें। 

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