Navaratri 2019: जानिए कहां है 1000 हाथों वाली मां दुर्गा का मंदिर, दर्शन करने पर भक्तों की सारी मुरादें होती हैं पूरी
By ज्ञानेश चौहान | Published: October 3, 2019 12:09 PM2019-10-03T12:09:05+5:302019-10-03T12:57:12+5:30
Shardiya Navratri Special: मंदिर में 551 देवी-देवताओं की मूर्तियों को बंगाली मूर्तिकारों ने बनाया था। मंदिर के संस्थापक का ऐसा दावा है कि मंदिर में विशेष एक हजार हाथ वाली महिषासुर मर्दनी विराजमान हैं, जो देशभर में कहीं और नहीं हैं।
भारत में मां दुर्गा के कई रूपों के दर्शन करने को मिलते हैं। इन्हीं में से एक ऐसा रूप भी है जिसे देखकर भक्त हैरान भी हो सकते हैं। मां दुर्गा के जिस रूप की हम बात कर रहे हैं वह उत्तरप्रदेश के कानपुर में दामोदर नगर में देखने को मिलता है। यहां पर जम्मू कटरा की तर्ज पर ही गुफावाला वैष्णोदेवी मंदिर स्थापित किया गया है। इस मंदिर में 1000 हाथों वाली मां महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा की स्थापना की गई है जो कि काफी अद्भुत है।
सारी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मंदिर के पुजारी का ऐसा मानना है कि जो भी भक्त मां दुर्गा के इस रूप के दर्शन करता है उसकी सारी मनोकामाएं पूरी होती हैं। साथ ही मां भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखती हैं। इस मंदिर के बनने के पीछे भी बड़ी वजह रही है। जिस बुलंदशहर निवासी केमिकल कारोबारी जयवीर सिंह राणा को एक बार सपने में मा दुर्गा के कन्या स्वरूप में दर्शन हुए थे। सपने में मां दुर्गा ने जम्मू कटरा की तरह ही गुफावाला मंदिर बनाने को कहा। इसके बाद उन्होंने वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण करने का निर्णय लिया।
मंदिर निर्माण ने लगा था 2 साल
इस मंदिर का निर्माण करने में लगभग 2 साल का समय लगा। जयवीर राणा ने बताया कि मंदिर में 551 देवी-देवताओं की मूर्तियों को बंगाली मूर्तिकारों ने बनाया था। जयवीर का ऐसा दावा है कि मंदिर में विशेष एक हजार हाथ वाली महिषासुर मर्दनी विराजमान हैं, जो देशभर में कहीं और नहीं हैं। इस मंदिर में मान्यता है कि श्रद्धालु देवी के सामने चुन्नी बांधकर अपनी कामना करते हैं और मां दुर्गा के प्रसन्न होने पर भक्तों की सारी मनोकामाएं पूरी होती हैं।
रामजन्म से लेकर कृष्ण की बाललीला तक का चित्रण
दामोदर नगर में मौजूद इस मंदिर में मां के सभी रूप का चित्रण, महाभारत युद्ध की लीलाएं, रामजन्म से रावणवध और भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के साथ अन्य देवी-देवताओं के चित्रण श्रद्धालुओं को देखने को मिलते हैं। यानि इस मंदिर में रामजन्म से लेकर कृष्ण की बाललीला तक का चित्रण बखूबी तरीके से किया गया है।