Margashirsha Purnima 2021: कल मार्गशीर्ष पूर्णिमा बन रहा है ये शुभ योग, जानें पूजा विधि और धार्मिक महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: December 17, 2021 12:01 IST2021-12-17T12:01:19+5:302021-12-17T12:01:19+5:30
पूर्णिमा तिथि, शनिवार और साध्य योग के संयोग का बहुत ही शुभफलदायक माना जाता है। साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस योग में पूजा, पाठ और दान करना बहुत ही शुभ रहेगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान करने का महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार के अनुसार, यह मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा या फिर अगहन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण किया जाता है, माता लक्ष्मी की पूजा होती है। इसके साथ इस दिन दिन चंद्र देव की भी आराधना की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर, शनिवार को है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 18 जनवरी को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 05 मिनट तक
बन रहा है शुभ योग
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर बहुत ही शुभ साध्य योग बन रहा है। साध्य योग में किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य करने पर वह अवश्य ही सफल और पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि, शनिवार और साध्य योग के संयोग का बहुत ही शुभफलदायक माना जाता है। साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस योग में पूजा, पाठ और दान करना बहुत ही शुभ रहेगा।
पूजा विधि
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
इसके बाद विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।
भगवान नारायण की पूजा धूप, दीप आदि से करें।
भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें।
इसके बाद चूरमा का भोग लगाएं। यह इन्हें अतिप्रिय है।
बाद में चूरमा को प्रसाद के रुप में बांट दें।
पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देना न भूलें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जगत के पालनहार की कृपा बरसती है। पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अमृत बरसाता है। इस दिन बाहर खीर रखना चाहिए। फिर इसका दूसरे दिन सेवन करें। अगर आपके कुंडली में चंद्र ग्रह दोष है, तो इस दिन चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।