Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर ऐसे करें जलाभिषेक, मिलेगा भगवान शिव का आशीर्वाद, दूर होंगी परेशानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 11, 2021 09:16 AM2021-03-11T09:16:56+5:302021-03-11T09:16:56+5:30

महाशिवरात्रि पर इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। इसलिए ये दिन और खास बन गया है। मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और उनको जलाभिषेक करने से भक्तों को विशेष लाभ होता है।

Mahashivratri 2021 how to do Lord Shiva worship how to do Jalabhishek on Mahashivaratri all details | Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर ऐसे करें जलाभिषेक, मिलेगा भगवान शिव का आशीर्वाद, दूर होंगी परेशानी

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व (फाइल फोटो)

Highlightsमहाशिवरात्रि पर इस बार शिव योग के साथ सिद्ध योग और धनिष्ठा नक्षत्र का भी संयोग 11 मार्च को दोपहर 2.40 के बाद चतुर्दशी तिथि की होगी शुरुआत, रात में शिव पूजा का विशेष महत्वमहाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा के लिए दूध और गंगाजल का इस्तेमाल सबसे उत्तम माना गया है

महाशिवरात्रि आज पूरे देश में मनाई जा रही है। हिंदू पंचाग के मुताबिक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार ये 11 मार्च को है। ऐसे तो हर महीने एक शिवरात्रि आती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं पर फाल्गुन की शिवरात्री का महत्व बेहद विशेष है। मान्यता है इसी दिन भगवान शिव और माता-पार्वती का विवाह हुआ था।

इस बार की महाशिवरात्रि और भी विशेष है। दरअसल, इस बार शिव योग के साथ सिद्ध योग भी बन रहा है। साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। यही नहीं 11 मार्च को त्रयोदशी और चतुर्दशी भी मिल रही है। ऐसा संयोग 101 साल बाद हो रहा है। इसलिए ये दिन बेहद खास बन गया है।

बता दें कि त्रयोदशी तिथि 10 मार्च को दोपहर बाद 2.40 मिनट से शुरू हो चुकी है और इसका समापन 11 मार्च को 2.40 बजे होगा। इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। वहीं, 11 मार्च को सुबह 9.24 बजे तक शिव योग है। 

इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा जो 12 मार्च को सुबह 8.29 तक रहेगा। साथ ही रात में 9.45 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र भी रहेगा। ये सबकुछ कुछ ऐसा संयोग बना रहे हैं, जिसमें भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी साबित हो सकती है।

महाशिवरात्रि: पूजा और जलाभिषेक के मुहूर्त

देश के तमाम शिवमंदिरों और शिवालयों में त्रयोदशी का जलाभिषेक 11 मार्च को तड़के 4.01 बजे से शुरू होकर पूरे दिन चलता रहेगा। वहीं, चतुर्दशी का भी जलाभिषेक 11 मार्च को दोपहर 3 बजे बाद से शुरू होकर देर शाम तक होगा।

महाशिवरात्रि में रात की पूजा का महत्व खास है। निषित काल पूजा का मुहूर्त इस बार 11 मार्च को आधी रात में 12.06 बजे से 12.55 बजे तक है। ऐसे में ये करीब 48 मिनट का शुभ मुहूर्त होगा। अन्य रात के चारों पहर में भी पूजा के मुहूर्त हैं।

महाशिवरात्रि: भगवान शिव पर जलाभिषेक कैसे करें

महाशिवरात्रि या भगवान शिव की पूजा के लिए दूध का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। गाय के दूध का विशेष महत्व है। ये सबसे अधिक पवित्र और उत्तम माना गया है। भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए जल में थोड़ा सा दूध मिलाकर उन्हें चढ़ाएं। 

मान्यताओं के अनुसार जल में थोड़ा दूध मिलाकर जलाभिषेक करने से या शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

साथ ही महाशिवरात्रि के दिन महादेव की पूजा करते समय बेल पत्र, दूध, दही, शहद, शक्कर और गंगाजल का इस्तेमाल करें। ऐसे जलाभिषेक करने से शिव भक्तों पर भगवान शंकर की कृपा बरसती है और समस्याओं से निजात मिलने की संभावना रहती है।

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