Mahashivratri 2020: महाशिवरात्रि कब है 21 या 22 फरवरी को? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
By ज्ञानेश चौहान | Updated: February 20, 2020 17:11 IST2020-02-20T17:11:46+5:302020-02-20T17:11:46+5:30
चतुर्दशी तिथि के ही दिन शिवरात्रि मनाई जाती है। रूद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजा करें इसके बाद भगवान शिव के शिवलिंग रूप की पूजा करें।

Mahashivratri 2020: महाशिवरात्रि कब है 21 या 22 फरवरी को? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
महाशिवरात्रि का पावन पर्व तिथि के हिसाब से तय किया जाता है। कई लोगों को यह जानकारी नहीं है कि इस साल महाशिवरात्रि कब से कब तक मनाई जाएगी। तो हम आपको बता दें कि इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी (शुक्रवार) को सुबह 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी (शनिवार) शाम 7 बजकर 2 मिनट मनाई जाएगी।
21 फरवरी को सुबह 5 बजकर 20 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्त हो जाएगी और चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। चतुर्दशी तिथि के ही दिन शिवरात्रि मनाई जाती है। कई मंदिरों में 22 फरवरी को भी धूमधाम से शिव का पूजन किया जाएगा। रात्रि की पूजा 21 फरवरी शाम को 6 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।
महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त
- महाशिवरात्रि 21 फरवरी को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी।
- शैव संप्रदाय के अनुसार- 21 फरवरी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
- वैष्णवों द्वारा- 22 फरवरी को शिवरात्रि पर्व मनाई जाएगी।
- शिव खप्पर पूजन- 23 फरवरी, अमावस्या के दिन
पूजा विधि
शुभ मूहूर्त से पहले नहाकर साफ कपड़े पहन लें। रूद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजा करें इसके बाद भगवान शिव के शिवलिंग रूप की पूजा करें। रुद्राभिषेक के समय "ओम नम: शिवाय" मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र का उच्चारण करते हुए शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें।
गंगा जल से अभिषेक करने के बाद भगवान शिव को घर पर बने व्यंजन, फल, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद शिव जी की आरती करें। इसके बाद शिव के परिवार यानी माता पार्वती, गणेश जी, नौ ग्रह, माता लक्ष्मी, सूर्य देव, अग्नि देव, ब्रह्म देव, पृथ्वी माता की भी वंदना करें। ऐसा करने से सही तरीके रूद्राभिषेक संपन्न होगा।
रुद्राभिषेक के गंगाजल को प्रसाद स्वरूप लोगों को वितरित करें। ऐसी मान्यता है कि रूद्राभिषेक में उपयोग किए गए गंगा जल से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं, साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की जटा से गंगा माता और यहीं से गंगा नदीं का निर्माण हुआ। इसलिए रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। रूद्राभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।