Maha kumbh 2025: मौनी अमावस्या के शाही जुलूस में सबसे आगे चलेंगे नागा और निर्वाण नागा
By राजेंद्र कुमार | Updated: January 28, 2025 19:27 IST2025-01-28T19:27:20+5:302025-01-28T19:27:20+5:30
अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जनवरी मंगलवार की शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर होगा और अगले दिन 29 जनवरी 2025 को शाम में 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इस समायावधि के बीच 29 जनवरी को सुबह पांच बजे दूसरा शाही स्नान शुरू होगा।

Maha kumbh 2025: मौनी अमावस्या के शाही जुलूस में सबसे आगे चलेंगे नागा और निर्वाण नागा
लखनऊ/ महाकुंभ नगर: इस महाकुंभ में आए अखाड़ों के लिए दूसरा शाही स्नान पर्व मौनी अमावस्या बुधवार 29 जनवरी को है। इस महास्नान पर्व पर देवगुरु बृहस्पति के वृष राशि के साथ शनि तथा राहु का तुला राशि में संचरण हो रहा है। इस संचरण से बना दुर्लभ संयोग अति फलदायी माना जाता है। सनातन धर्म की मान्यता के मुताबिक इस मौके पर संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने पर अक्षय पुण्य मिलता है।
अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जनवरी मंगलवार की शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर होगा और अगले दिन 29 जनवरी 2025 को शाम में 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इस समायावधि के बीच 29 जनवरी को सुबह पांच बजे दूसरा शाही स्नान शुरू होगा और सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी तथा श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के नागा साधु तथा इन महामंडलेश्वर संगम में स्न्नान करेंगे। इसके बाद निर्धारित क्रम के तहत अन्य अखाड़ों के नागा साधु और महामंडलेश्वर संगम के जल से स्नान कर संगम में डुबकी लगाएंगे।
मेला क्षेत्र नो व्हीकल जोन घोषित :
मौनी अमावस्या के पर्व पर होने वाले स्नान पर करीब दस करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाया जा रहा हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के दौरान कहीं कोई गड़बड़ी न होने पाए, इसके लिए सुरक्षा बलों ने पूरे मेला क्षेत्र को कड़े सुरक्षा घेरे में ले लिया है। पुलिस, पीएसी, अर्द्धसैनिक बल और होमगार्ड के तकरीबन 30 हजार से जवानों और अधिकारियों ने मेला क्षेत्र में मोर्चा संभाला हुए हैं।
मेले में बढ़ रही भीड़ को देखते हुए मंगलवार को ही पूरे मेला क्षेत्र को प्रशासन ने नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए हर सेक्टर और जोन में विशेष व्यवस्था की गई है। इस दौरान किसी भी तरह का प्रोटोकॉल लागू नहीं होगा।
मंगलवार की सुबह से ही प्रयागराज के 20 किलोमीटर पहले पुलिस के जवानों को तैनात कर वाराणसी, लखनऊ, कानपुर से आ रहे वाहनों को रोक दिया। वाहनों को छोड़कर श्रद्धालुओं 15-20 किलोमीटर पैदल चलकर संगम तट पर पहुंच रहे हैं। मेला अधिकारी का कहना है कि मेले की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। यह व्यवस्था अब अगले दो दिनों तक जारी रहेगी।
अखाड़ों का शाही जुलूस :
मेलाधिकारी के मुताबिक बुधवार की सुबह शाही स्नान शुरू होते ही अनेक शंकराचार्य, महामंडलेश्वर, संत-महात्मा, नागा और करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के शाही जुलूस में सबसे आगे नागा और निर्वाण नागा साधु चलेंगे। अखाड़ों का शाही जुलूस में शंकराचार्य और महामंडलेश्वर सजे हुए भव्य रथों में सवार होंगे। उनके रथों के आगे नागा साधु बड़े बड़े झंडे और शस्त्र लेकर चलेंगे।
अखाड़ों के शाही जुलूस श्रद्धालुओं के लिए विशेष होते हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव के अनुसार, शाही जुलूस में नए बने महामंडलेश्वर भी शामिल होंगे लेकिन उनका क्रम वरिष्ठ महामंडलेश्वरों के पीछे रहेगा। इसी तरह मकर संक्रांति के बाद जिन संन्यासियों को नागा बनाया जाएगा, वह जुलूस में तो आगे रहेंगे लेकिन वरिष्ठता के क्रम में वे पहले बने नागाओं के पीछे-पीछे चलेंगे। शाही जुलूस के लिए अखाड़ों के सचिवों और महामंडलेश्वरों की ओर से खासी तैयारियां की गई हैं।