21 जनवरी से आरम्भ होगा माघ, पूजा-अर्चना के लिए पूरा महीना है खास

By मेघना वर्मा | Updated: January 1, 2018 15:16 IST2018-01-01T15:00:05+5:302018-01-01T15:16:50+5:30

माघ के शुरू होने से पहले भीमाष्टमी, तिल चौथ आदि कई त्यौहार पड़ रहें है। जानें इन खास दिनों में पूजा-पाठ से मिल सकते हैं कैसे लाभ।

Magh: Starting from January 21, these are the special festival in this month | 21 जनवरी से आरम्भ होगा माघ, पूजा-अर्चना के लिए पूरा महीना है खास

21 जनवरी से आरम्भ होगा माघ, पूजा-अर्चना के लिए पूरा महीना है खास

हिन्दू धर्म में माघ माह को खास माना जाता है। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पहला महीना होता है। इस बार यह माह 21 जनवरी, 2018 से शुरू है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान, पूजन-अर्चन और तिल-कंबल के दान को विशेष महत्व द‍िया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

इस माह में शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का भी आरंभ होता है। खास योग के चलते ये पूरा महीना ही शुभ कामों के लिए खास रहता है। इस दौरान संपूर्ण भारत के प्रमुख तीर्थों पर मेलों का आयोजन होता है। प्रयाग, हरिद्वार, उत्तरकाशी आदि जगहों पर लगने वाले माघ मेलों में दूर-दूर से लोग उमड़ते हैं। माघ से पहले भी ऐसी बहुत सी तिथियां हैं जिन्हें पूजा-पाठ के लिए विशेष माना जाता है। 

तिल चौथ

5 जनवरी को होने वाला चौथ माघ की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। इसे माही चौथ व संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं, लड़कों के लिए इस दिन निराजली उपवास रखती हैं। रात में चांद दर्शन के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत करता है उसके सब संकट दूर हो जाते हैं।

षटतिला एकादशी

12 जनवरी को पड़ने वाली ये एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस दिन तिल का व‍िशेष महत्‍व होता है। तिल का ही उबटन लगाकर तिल के जल से स्नान क‍िया जाता है। साथ ही तिल से हवन होता है व तिल मिले जल का पान, तिल का भोजन एवं तिल का ही दान भी किया जाता है। माना जाता है कि इससे समस्त पापों का नाश हो जाता है।

बसंत पंचमी

22 जनवरी को पड़ने वाली इस पंचमी के दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवियों का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से होना बताया गया है।

अचला सप्तमी

24 जनवरी यानी माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। उनके अनुसार इस दिन स्नान-दान, पितरों के तर्पण व सूर्य पूजा एवं वस्त्रादि दान करने से व्यक्ति मृत्यु उपरान्त बैकुंठ को प्राप्त करता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से साल भर रविवार के दिन रखे व्रतों के समान पुण्य मिलता है। सप्तमी को अचला भानू सप्तमी भी कहा जाता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।

भीमाष्टमी

शुक्ल पक्ष की ही अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं। इस साल भीमाष्टमी 25 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण-त्याग किया था। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान व माधव पूजा से सब पाप कट जाते हैं। इस शुभ दिन को भीष्म अष्टमी नाम से जाना जाता है। महाभारत में कहा गया है, जो व्यक्ति माघ शुक्ल अष्टमी के दिन भीष्म पितामह के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करेंगे उनके वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाएंगे।

माघ पूर्णिमा

इस वर्ष 31 जनवरी को आने वाली माघी पूर्णिमा का महत्व सर्वाधिक माना गया है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

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