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27 जुलाई को होगा पूर्ण चन्द्र ग्रहण, बादल नहीं रहे तो आमजन भी देख सकेंगे ग्रहण

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 26, 2018 09:04 IST

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार दिनांक 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा।

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शुक्रवार 27 जुलाई पूर्णिमा को पूर्ण चन्द्र ग्रहण हो रहा है। ग्रहण का प्रारम्भ रात्रि 11:54:02 पर हो रहा है। पूर्ण ग्रहण की स्थिति मध्य रात्रि 01:51:08 पर होगी तथा मोक्ष की स्थिति रात्रि 03:49:03 बजे होगी। इस प्रकार ग्रहण की अवधि 3 घण्टे 55 मिनट की होगी एवं पूर्ण ग्रहण की स्थिति 1 घण्टे 43 मिनट तक रहेगी। ग्रहण का प्रतिशत 161.4 होने के कारण चन्द्रमा पूर्ण ग्रहण की स्थिति में रहेगा।

शासकीय जीवाजी वेधशाला अधीक्षक राजेन्द्रप्रकाश गुप्त के अनुसार पूर्ण चन्द्र ग्रहण अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, मध्य-पूर्व एवं दक्षिण अमेरिका, रशिया, अफ्रीका एवं एशिया में दृश्य होने के कारण भारत में भी अच्छी प्रकार से देखा जा सकेगा। वेधशाला में टेलिस्कोप के माध्यम से ग्रहण को देखने की व्यवस्था की गई है। जहां आकर आमजन इस खगोलीय घटना के साक्षी बन सकेंगे। ग्रहण देखने के लिए आकाश खुला होना अत्यन्त आवश्यक है। बादल होने की स्थिति में ग्रहण नहीं देख पायेंगे।

ब्लडमून चंद्रग्रहण

27-28 जुलाई 2018 आषाढ़ पूर्णिमा ( गुरु पूर्णिमा) के दिन खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा और बड़ा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान एक अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त कीतरह लाल दिखाई देने लगेगा।  यह एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है। 

ये भी पढ़ें - गुरु पूर्णिमा 2018: आषाढ़ की पूर्णिमा ही क्यों है गुरु पूर्णिमा, जानें महत्व

किस राशि पर क्या प्रभाव

यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।

 *ग्रहण कब से कब तक* 

ग्रहण 27 जुलाई की मध्यरात्रि से प्रारंभ होकर 28 जुलाई को तड़के समाप्त होगा। *स्पर्श* : रात्रि 11 बजकर 54 मिनट

 *सम्मिलन* : रात्रि 1 बजे

 *मध्य* : रात्रि 1 बजकर 52 मिनट

 *उन्मीलन* : रात्रि 2 बजकर 44 मिनट

 *मोक्ष* : रात्रि 3 बजकर 49 मिनट

 *ग्रहण का कुल पर्व काल* : 3 घंटा 55 मिनट

 ज्योतिष मान्यता, सूतक कब प्रारंभ होगा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार दिनांक 27 जुलाई को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा। यानी 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं। सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने के पानी, दूध, दहीआदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता।

ये भी पढ़ें - सदी का सबसे लम्बा पूर्ण चंदग्रहण देखना चाहते हैं, तो इंद्र को मनाइये

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें

ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग निद्रा में होते हैं।ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।

 ज्योतिष मान्यतानुरूप क्या करें,क्या न करें

ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू,छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।

(रिर्पोट - बृजेश परमार)

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