आधे रास्ते से लौटी थी भगवान शिव की बारात, नारद जी ने नहीं होने दी थी भोलेबाबा की शादी-पढ़ें ये दिलचस्प कथा

By मेघना वर्मा | Published: May 17, 2020 08:59 AM2020-05-17T08:59:16+5:302020-05-17T08:59:16+5:30

शिवपुराण के अनुसार बानासुरन नाम का एक असुर था। जिसने अपने आतंक से सभी देवताओं को परेशान करके रखा था।

lord shiva had returned from the way through the procession of marriage narad ji did not let the marriage of lord shiva | आधे रास्ते से लौटी थी भगवान शिव की बारात, नारद जी ने नहीं होने दी थी भोलेबाबा की शादी-पढ़ें ये दिलचस्प कथा

आधे रास्ते से लौटी थी भगवान शिव की बारात, नारद जी ने नहीं होने दी थी भोलेबाबा की शादी-पढ़ें ये दिलचस्प कथा

Highlightsजब भगवान शिव कैलाश से आधी रात बारात लेकर निकलें ताकि सुबह शुभ मुहूर्त में दक्षिण छोर पर पहुंच जाएं। राक्षस का वध करने के लिए आदि शक्ति रूप में राजा के घर पुत्री का जन्म हुआ।

भगवान भोलेनाथ को कल्याणकारी प्रभु भी कहा जाता है। भोले, दुष्टों का नाश और अपने भक्त की रक्षा करते हैं। शास्त्रों में भगवान शिव से जुड़े कई प्रसंग सुनने को मिलते हैं। एक कथा कन्याकुमारी से भी जुड़ी है। जिसके नाम पर भारत के एक शहर का नाम भी पड़ा है। 

शिवपुराण के अनुसार बानासुरन नाम का एक असुर था। जिसने अपने आतंक से सभी देवताओं को परेशान करके रखा था। देवताओं ने उसका वध करने की भी कोशिश की पर कोई सफल नहीं हो पाया। बताया जाता है कि इस असुर को भगवान शिव से वरदान मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु केवल कुंवारी कन्या ही कर पाएगी। 

शिव को पाने के लिए सालों किया तप

इस राक्षस का वध करने के लिए आदि शक्ति रूप में राजा के घर पुत्री का जन्म हुआ। उस राजा के आठ पुत्र और एक पुत्री थी। इस पुत्री का नाम रखा गया- कन्या। कन्या को भगवान शिव से प्रेम हो गया। उन्हें पाने के लिए कन्या ने सालों तप किया। कन्या की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने शादी का वचन दे दिया।

 

देवताओं ने कर दी शादी रोकने की तैयारी

शादी की सभी तैयारियां हो गई। भगवान शिव बारात लेकर निकले। मगर जब इस बात की भनक नारद जी को लगी कि ये कोई साधारण कन्या नहीं बल्कि आदि शक्ति का रूप हैं। और इनका जन्म राक्षस के विनाश के लिए हुआ है तो ये बात नारद जी ने सभी देवताओं में फैला दी और शादी रोकने की योजना तैयार करने लगे।

आधे रास्ते से लौट गई बारात

जब भगवान शिव कैलाश से आधी रात बारात लेकर निकलें ताकि सुबह शुभ मुहूर्त में दक्षिण छोर पर पहुंच जाएं। मगर देवताओं ने शादी रोकने के लिए रास्ते में ही मुर्गे की आवाज लगा दी। शिव को लगा कि वो सही मुहूर्त नहीं है और शिव की बारात आधी रास्ते से ही वापिस चली गई। उधर कन्या की सुंदरता की खबर बानासुरन को हुई। उसने कन्या से विवाह का प्रस्ताव भेजा।

कन्या रह गईं कुवांरी

कन्या इस प्रस्ताव से इतनी क्रोधित हुईं कि उन्होंने असुर को युद्ध करने के लिए कहा। इस भीषण युद्ध में बानासुरन मारा गया। मगर कन्या कुंवारी रह गई। इसलिए आज भी दक्षिणी छोर को कन्याकुमारी के नाम से जाना जाता है। वहां के लोगों के बीच ये कथा काफी प्रचलित है। 

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