Krishna Janmashtami 2025: आज बिल्कुल न करें ये गलतियां, वरना जन्माष्टमी की पूजा मानी जाएगी अधूरी
By अंजली चौहान | Updated: August 16, 2025 12:55 IST2025-08-16T12:54:13+5:302025-08-16T12:55:53+5:30
Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी की रस्में पंचामृत के बिना अधूरी मानी जाती हैं, जो मध्यरात्रि की पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाने वाला एक पवित्र मिश्रण है।

Krishna Janmashtami 2025: आज बिल्कुल न करें ये गलतियां, वरना जन्माष्टमी की पूजा मानी जाएगी अधूरी
Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। आज बच्चों से लेकर बूढ़ें तक जन्माष्टमी का त्योहार मना रहे हैं और यह पूरा दिन चलने वाला त्योहार रात को भगवान कृष्ण के जन्म के साथ समाप्त होगा। इस त्योहार पर खूब सजावट की जाती है और बड़ी संख्या में लोग इस त्योहार को मनाने और श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए एकत्रित होते हैं।
वहीं, कुछ भक्त भगवान के लिए उपवास करते हैं पूरे दिन उपवास के बाद रात के समय जन्म के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। चूंकि आज जन्माष्टमी है ऐसे में दिन भर भगवान की पूजा-अर्चना की जाएगी। लेकिन आपको यह मालूम होना चाहिए कि आपको कैसे भगवान की पूजा करनी है कि वह खुश हो जाए...
जन्माष्टमी उत्सव के लिए आवश्यक पूजा सामग्री: 1. बाल गोपाल 2. झूला 3. भगवान कृष्ण की मूर्ति 4. लाल सुंदर वस्त्र 5. पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी, घी) 6. फल 7. सूखे मेवे 8. घी का दीपक 9. चावल 10. तुलसी पत्र 11. फूलों की माला 12. भगवान कृष्ण और बाल गोपाल के वस्त्र 13. अगरबत्ती 14. भोग प्रसाद 15. मिश्री 16. मक्खन
जन्माष्टमी के लिए चरण-दर-चरण पूजा विधि 2025:
1- सुबह जल्दी उठें भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए, घर की सफाई करनी चाहिए और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करना चाहिए।
2- अच्छे साफ कपड़े पहनें। कोशिश करें कि कपड़ें नए हो और वह काले रंग के न हो।
3- सबसे पहले लड्डू गोपाल जी को स्नान कराएं और अगर आपके पास भगवान कृष्ण की मूर्ति है तो उन्हें सादे पानी या गुलाब जल से स्नान कराएं। आपको उन्हें पंचामृत से भी स्नान कराना चाहिए।
4- मूर्ति का श्रृंगार करें मूर्ति को नए वस्त्र, आभूषण जैसे मुकुट, बाल, मोर पंख, माला, चूड़ियां और बांसुरी से सजाएं।
5- एक लकड़ी के पटरे पर मूर्ति रखें और उस पटरे पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं फिर उस पर लड्डू गोपाल जी और भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें फिर देसी घी का दीया जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
6- तिलक और चंदन लगाएं दीया जलाने के बाद सबसे पहले भगवान के माथे पर चंदन का तिलक और कुमकुम का तिलक लगाएं। भगवान के चरणों में भी कुमकुम रखें।
7- दीया जलाने के बाद, आपको मंत्रों का जाप करके या भजन गाकर मूर्ति का आह्वान करना होगा। भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए मंत्र जाप बहुत महत्वपूर्ण है।
8- आप "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" या श्री कृष्ण महा मंत्र - "हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे" का जाप कर सकते हैं।
9- भगवान कृष्ण के लिए विभिन्न भोग सामग्री तैयार करते हैं जैसे खीर, हलवा, विभिन्न प्रकार की पंजीरी, और लड्डू। भगवान कृष्ण को पांच अलग-अलग मौसमी फल, सूखे मेवे, पंचामृत, मक्खन और मिश्री चढ़ाएं।
10- भोग प्रसाद के लिए तुलसी पत्र होना चाहिए क्योंकि तुलसी पत्र के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
11- मध्यरात्रि के दौरान, भक्तों को एक साथ आना चाहिए और भजन गाना चाहिए।
व्रत तोड़ने की विधि:
भक्तगण आधी रात के बाद सभी पूजा-अनुष्ठान करने के बाद अपना व्रत तोड़ सकते हैं, लेकिन उन्हें सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है या वे भोग प्रसाद के साथ अपना व्रत तोड़ सकते हैं, अन्यथा कुछ लोग अगले दिन पारण के समय के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे ऊपर बताई गई पूजा-अनुष्ठानों का पालन करें। उन्हें पूरे दिन सात्विक रहना चाहिए और श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस भव्य उत्सव पर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किसी से भी बुरा-भला कहने से बचना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत आर्टिकल सामान्य ज्ञान पर आधारित है और मौजूद सलाह को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें)