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Kharmas 2024: क्या है खरमास से जुड़ी मान्यताएं, क्यों नहीं होते विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन सहित मांगलिक कार्य, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 14, 2024 06:51 IST

सनातन धर्म में खरमास ऐसी काल गणना को कहा जाता है, जिसमें कोई भी मुहूर्त शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

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ठळक मुद्देसनातन धर्म में खरमास की अवधि में मांगलिक कार्यों की मनाही होती है14 मार्च से सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 13 अप्रैल तक रहेंगे, इस अवधि में खरमास रहेगाहिंदू परिवारों में खरमास के दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं

Kharmas 2024: सनातन धर्म में खरमास ऐसी काल गणना को कहा जाता है, जिसमें कोई भी मुहूर्त शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। 14 मार्च से सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास शुरू हो रहा है और यह 13 अप्रैल तक जारी रहेगा। इसका मतलब है कि हिंदू परिवारों में खरमास के दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे मांगलिक संस्कार का कोई भी कार्य नहीं होगा।

इस संबंध में काशी के ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि सूर्य जब गुरु ग्रह की धनु या मीन राशि में रहता है तो उस समय को खरमास कहा जाता है। खरमास पूजा-पाठ के नजरिए से तो बहुत शुभ है, लेकिन इन दिनों या महीने में सामाजिक शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं क्योंकि उन्हें करने के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं। यही कारण है कि खरमास में केवल पूजा-पाठ के साथ ही शास्त्रों का पाठ, सत्संग और मंत्र जप करने की परंपरा है।

भगवान सूर्य करेंगे गुरु बृहस्पति की सेवा

ग्रहों और नक्षत्रों की गणना में गुरु ग्रह यानी देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में भ्रमण करते हैं और एक राशि में करीब एक महीने का प्रवास करते हैं। इस तरह सूर्य एक वर्ष में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा करते है।

सूर्य जब धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दशा से खरमास का प्रारंभ होता है। इसके बाद सूर्य जब तक इन दो राशियों में प्रवास करते हैं, तब तक खरमास का प्रभाव माना जाता है। ज्योतिष की मान्यता है कि खरमास में भगवान सूर्य अपने गुरु बृहस्पति के निवास में रहते हैं और उनकी सेवा करते हैं।

खरमास में क्यों नहीं करते हैं शुभ कार्य

हिंदू मान्यता में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत पंचदेवों के पूजन से किया जाता है। इन पंचदेवों में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। इन पांचों देवताओं की पूजा के बाद ही शुभ कार्य को आगे बढ़ाते हैं। खरमास में सूर्य देव अपने गुरु की सेवा में रहते हैं, इस कारण वे हमारे शुभ कार्य में उपस्थित नहीं हो पाते हैं।

चूंकि सूर्य की अनुपस्थिति में किया गया कोई शुभ कार्य सफल नहीं होती है और उस कार्य से मनोवांछित फल की प्राप्ति नहीं होती है। इस कारण से मान्यता है कि खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे कार्यों का मुहूर्त और लग्न नहीं बैठता है।

खरमास में क्या कर सकते हैं

खरमास के महीने में जातक अपने इष्टदेव के मंत्रों के माध्यम से जाप या आराधन कर सकते हैं। खरमास में प्रत्येक सुबह सूर्य के जलार्पण से कल्याण होता है। इसके अलावा शिवलिंग, बाल गोपाल, महालक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन एवं अभिषेक कर सकते हैं।

खरमास के समय में मंदिर में पूजन सामग्री का दान किया जा सकता है। इसके साथ खरमास में गौसेवा भी की जा सकती है। इस महीने में तीर्थ दर्शन और पवित्र नदियों में स्नान से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। 

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