Janmashtami 2024 Date: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By रुस्तम राणा | Updated: August 10, 2024 16:11 IST2024-08-10T16:11:18+5:302024-08-10T16:11:37+5:30

Janmashtami 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, द्वापर काल में भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए प्रति वर्ष इसी तिथि पर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी कहते हैं।

Janmashtami 2024 Date: When is Krishna Janmashtami? Know the correct date, auspicious time and importance | Janmashtami 2024 Date: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Janmashtami 2024 Date: कृष्ण जन्माष्टमी कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Janmashtami 2024 Date: जन्माष्टमी पर्व हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह योगेश्वर महाराज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है, जिसे बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, द्वापर काल में भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए प्रति वर्ष इसी तिथि पर उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी कहते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और आधी रात में भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करते हैं। मान्यताओं अनुसार ये व्रत रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस साल भगवान कृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है?(Krishna Janmashtami 2024 Date)

इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को तड़के 03:39 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त को रात्रि 02:19 तक रहेगी।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 मुहूर्त (Krishna Janmashtami 2024 Muhurat)

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त - देर रात 12:01 बजे से 12:45 बजे तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - 26 अगस्त 2024 को अपराह्न 03:55 बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त - 27 अगस्त 2024 को अपराह्न 03:38 बजे

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि 

जन्माष्टमी को पूरे दिन व्रत करने का विधान है। 
प्रात: काल स्नान कर व्रत का नियम का संकल्प करना चाहिए।
आम एवं अशोक वृक्ष के पत्तों से घर को सजाकर श्रीकृष्ण या शालीगा्रम की मुर्ती को पंचामृत आभिषेक करवाकर पूजन करना चाहिए।
पूरे दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। 
भगवान के प्रसाद में अन्नरहित नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। 
दिन मे पूजन, किर्तन के पश्चात रात्री में ठीक बारह बजे भगवान की आरती कर जन्मोत्सव मनाना चाहिए।
भजन करते हुए रात्रि जागरण करना चाहिए। 

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