जम्मू-कश्मीर: बालटाल मार्ग से अमरनाथ यात्रा करना है मनमोहक, जानें इसकी खासियत

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 6, 2023 17:50 IST2023-07-06T17:49:24+5:302023-07-06T17:50:00+5:30

परिणाम यह है इसके खोलने का कि यात्रा पर आने वाले इसी मार्ग से गुफा तक जाने और आने को प्राथमिकता देते हैं।

Jammu-Kashmir Amarnath yatra through Baltal route is fascinating know its specialty | जम्मू-कश्मीर: बालटाल मार्ग से अमरनाथ यात्रा करना है मनमोहक, जानें इसकी खासियत

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

श्रीनगर: यह सचमुच किसी फिल्म की कथा नहीं है बल्कि उस मार्ग की कहानी है जिसे 12 सालों के आतंकवाद के दौर के बाद अमरनाथ की पवित्र गुफा तक जाने के लिए खोला गया था। हालांकि इस दौरान भी यह मार्ग खुला तो रहा था परंतु नागरिकों को इसके प्रयोग की अनुमति सुरक्षा कारणों से नहीं दी जाती रही जो गुफा तक पहुंचने का सबसे छोटा मार्ग माना जाता है।

कानों में सीटी की आवाज घोलने वाली ठंडी हवा सफेद ग्लेश्यिर को काट कर रख देती है तो इंसानी चेहरे की क्या हालत होगी। लेकिन इन सबके बावजूद ठंडी हवा के मधुर गीत जब कानों में तरंग छेड़ते हैं तो यूं लगता है किसी फिल्म का दृश्य आंखों के समक्ष हो। और 15 किमी लम्बा मार्ग 210 मिनटों के भीतर हवाओं के गुनगनाते गीत व संगीत में ऐसे गुजर जाता है जैसे किसी को कोई खबर न हो।

परिणाम यह है इसके खोलने का कि यात्रा पर आने वाले इसी मार्ग से गुफा तक जाने और आने को प्राथमिकता देते हैं। 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा तक पहुंचने का यह एकमात्र छोटा रास्ता प्रयोग करने वालों के लिए आसानी यह है कि वे एक ही दिन में गुफा तक जाकर वापस श्रीनगर लौट सकते हैं। श्रीनगर से बालटाल करीब 100 किमी की दूरी पर है जो एक आकर्षक पर्यटनस्थल भी है।

पर्यटनस्थल का नजारा देखते ही बनता है जहां एक ओर गुमरी तथा अमरनाथ दरिया की धाराएं आपस में मिल कर सिंध दरिया की उत्पत्ति करती हैं तो दूसरी ओर जोजिला व तरागबल शिखर आपस में मिलकर गुफा की ओर जाने वाले मार्ग को तीखा व कठिन चढ़ाई वाला बनाते हैं।इसे याद रखना पड़ता है कि नुकीली बर्फ से घिरी पहाड़ियां फिल्म के निर्माण के लिए बहुत ही अच्छा स्थल पैदा करती हैं।

इन नुकीली पहाड़ियों के बीच रंग बिरंगे टेंटों की बस्ती किसी मेले का आभास अवश्य देते हैं जो श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए है और इनमें दूरसंचार, स्वास्थ्य विभागों के अतिरिक्त सेना,पुलिस और सीमा सुरक्षाबल के टेंट भी शामिल हैं जो मार्ग की रखवाली को तैनात हैं। अधिक संख्यां में सुरक्षाबल इसलिए तैनात हैं इस मार्ग पर क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से यह मार्ग महत्वपूर्ण होने के साथ ही खतरों से भरा है।

ऐसा भी नहीं है कि यह पिकनिकस्थल समस्याओं से मुक्त हो बल्कि जहां रूकने वाले सभी लोगों को सबसे बड़ी समस्या तापमान में आने वाले उतार-चढ़ाव को महसूस करना पड़ता है जो दिन के चढ़ने के साथ साथ शिखर पर पहुंचने का प्रयास करता है तो शाम ढलते ही शून्य से नीचे जाने की कोशिशों में लग जाता है।

इस पिकनिक स्थल पर धूल के बादल सारा मजा भी किरकिरा कर देते हैं जो दिन में एक बार अवश्य चलते हैं। इन्हीं धूल के बादलों से कई बार लंगरवालों और अन्य अधिकारियों के भोजन खराब हो चुके हैं जिससे बचने का कोई उपाय नहीं है।

बालटाल को सोनमार्ग-करगिल की मुख्य सड़क से मिलाने वाले दो मार्गों पर वाहन दौड़ते हैं तो प्राकृतिक धूल के बादलों में और वृद्धि इसलिए होती है क्योंकि दोनों ही मार्ग कच्चे हैं। धूल के बादल कितने मोटे होते हैं।

इसी से स्पष्ट है कि वाहनों की रोशनी भी उन्हें काट नहीं पाती है। यही नहीं नल की टोंटी से पानी पीना इतना आसान नहीं है जो अत्यधिक ठंडा होने के साथ साथ कभी कभी बर्फ के रूप में जम जाता है।

Web Title: Jammu-Kashmir Amarnath yatra through Baltal route is fascinating know its specialty

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