श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त हुआ सुदर्शन चक्र? सबसे पहले इनका किया था वध
By मेघना वर्मा | Published: May 28, 2020 10:41 AM2020-05-28T10:41:01+5:302020-05-28T10:41:01+5:30
धार्मिक ग्रथों में सुदर्शन चक्र को सबसे विनाशक हथियारों में गिना जाता है। श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं।
श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। भगवान विष्णु का नाम चक्रधर भी था। इसका कारण उनकी उंगलियों पर दिखने वाला सुदर्शन चक्र था। सुदर्शन चक्र के विषय में बताया जाता है कि यह चक्र अमेघ है। जिस पर भी इसका प्रहार होता है उसका अंत जरूर होता है। हिन्दू धर्म में सभी देव-देवताओं के पास अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं। जिनके पीछे की कई कहानियां बताई जाती हैं।
धार्मिक ग्रथों में सुदर्शन चक्र को सबसे विनाशक हथियारों में गिना जाता है। श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं। कहते हैं श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु से प्राप्त हुआ था। यह सुदर्शन चक्र भगवान कृष्ण के पास कहां से आया और किस प्रकार उनका अस्त्र बना, पढ़िए इससे जुड़ा प्रसंग
हर चीज को खोजने में है सक्षम
भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु भगवान के आठवें अवतार माने जाते हैं। भगवान विष्णु के पास से ही ये सुदर्शन चक्र भगवान श्रीकृष्ण के पास पहुंचा। बताया जाता है कि ये सुदर्शन चक्र किसी भी चीज को खोज पाने में सक्षम है। इसे श्रीकृष्ण दुर्जनों का संहार किया करते थे।
भगवान शिव ने किया था इसका निर्माण
भगवात पुराण की मानें तो सुदर्शन चक्र को कुछ सबसे विध्वंसक अस्त्रों में गिना जाता है। मगर विष्णु भगवान ने नहीं बल्कि भगवान शिव ने किया था। इसके निर्माण के बाद शिव ने ये चक्र भगवान विष्णु को दिया था। इस विषय में शिवर पुराण के कोटि युद्ध संहिता में एक कथा मिलती है।
जरासंध को किया था पराजित
भगवान विष्णु ने जब श्रीकृष्ण रूप में अवतार लिया तो उनके पास यह चक्र था। बताया जाता है कि इन्होंने जरासंध को पराजित किया था। सिर्फ यही नहीं शिशुपाल का वध भी इसी चक्र से किया गया था। बताया जाता है कि जब श्री कृष्ण अवतार में यह चक्र भगवान श्रीकृष्ण को परशुराम जी से प्राप्त हुआ था क्योंकि रामावतार में परशुराम जी को भगवान राम ने चक्र सौंप दिया था। कृष्णावतार में वापस करने के लिए कहा था।
ऐसे हुआ सुदर्शन चक्र प्राप्त
जब दैत्यों का अत्याचार बढ़ गया तो सभी देवी देवता परेशान थे। सभी मिलकर भगवान विष्णु के पास गए। फिर भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने लगे। विष्णु भगवान ने उनके हजार नामों से स्तुति की। हर नाम पर कमल का फूल शिव को चढ़ाते जाते।
भगवान शिव ने विष्णु भगवान की परीक्षा के लिए उनका एक कमल का फूल छिपा दिया। जब विष्णु भगवान उसे ढू्ंढने लगे और उन्हें वो नहीं मिला तो उन्होंने अपनी आंखे निकालकर भगवान शिव को अर्पित कर दीं। उनकी भक्ति देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान मारने को कहा। तब विष्णु ने दैत्यों को समाप्त करने वाला अजेय शस्त्र मांगा। जिसके बाद भगवान शंकर ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र दिया।