Holi 2022 Date: होली कब है? जानें तिथि, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
By रुस्तम राणा | Updated: February 19, 2022 16:08 IST2022-02-19T16:08:07+5:302022-02-19T16:08:07+5:30
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा होती है और इस बार होलिका दहन 17 मार्च को है, जबकि रंगों का त्योहार होली 18 मार्च को मनाई जाएगी।

Holi 2022 Date: होली कब है? जानें तिथि, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Holi 2022 Date:होली हिंदू धर्म का मुख्य त्योहार है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं। यह त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मानाया जाता है। दरअसल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा होती है और इस बार होलिका दहन 17 मार्च को है, जबकि रंगों का त्योहार होली 18 मार्च को मनाई जाएगी। माना जाता है कि होली के दिन लोग गले-सिकवे भुलाकर एक दूसरे के गले मिलते हैं। होली से 8 दिन पहले यानि 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर के समय 01:29 बजे से लग ही है, जो कि अगले दिन 18 मार्च को दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी। होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 06 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 10 मिनट रहेगी।
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन के लिए लकड़ी, कंडे या उपले एक जह एकत्रित करें। इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाएं। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और उबटन डालें। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और सारी नकारात्मक शक्तियां इस अग्नि में भस्म हो जाती हैं। होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गयीं, चिता में आग लगाई गई, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति की शक्ति के कारण नहीं जले, खुद होलिका ही आग में जल गई।