Hanuman Jayanti 2025: क्या हनुमानजी कलयुग में साक्षात हैं?, क्या हैं मान्यताएं, कथाएं और किंवदंतियां
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 12, 2025 05:15 IST2025-04-12T05:15:12+5:302025-04-12T05:15:12+5:30
Hanuman Jayanti 2025: रामचरित मानस में श्रीराम के जीवन-दर्शन को अवधी में लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा है, "नासै रोग हरे सब पीरा।

सांकेतिक फोटो
Hanuman Jayanti 2025: हिंदू सनातन धर्म में रुद्र अवतार हनुमान की महिमा का बखान कई ग्रथों में किया गया। हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने आराध्य श्री राम के चरणों में सेवा करते हुए बिताया। रामचरित मानस में श्रीराम के जीवन-दर्शन को अवधी में लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा है, "नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। सब पर राम ..." इसका सीधा अर्थ है कि हनुमान जी का ध्यान उनके भक्तों को हर लोग, दुख, पीड़ा से दूर रखता है क्योंकि हनुमान जी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। मान्यता है कि अमरत्व प्राप्त किये संकटमोचन कलयुग के साक्षात देवता हैं।
जो आज भी जम्बू द्वीप, आयावर्त अर्थाक भारत की पावन भूमि पर अपने भक्तों के बीच भ्रमण कर रहे हैं। भगवान राम जब त्रेतायुग में पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करके बैकुण्ठ प्रस्थान किये तो उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए हनुमान को अमरता का वरदान दिया। कहा जाता है कि इसी वरदान के कारण हनुमान जी आज भी जीवित हैं और भगवान के भक्तों और धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं।
हिन्दू धर्म गर्न्थो और पुराणों में यह बताया गया है की हनुमान जी इस पृथ्वी में कलयुग के अंत होने तक निवास करेंगे। कलियुग में हनुमान जी सर्वाधिक उपास्य देवता हैं। वे शक्ति के आधार हैं, उनका नाम लेते ही सब संकट टल जाते है, इसलिए अतुलित बल के स्वामी हनुमान जी को संकटमोचन भी कहते हैं। हनुमान वेद वेदाग, ज्योतिष, योग, व्याकरण, संगीत, अध्यात्म और मल्ल क्रीड़ा के आचार्य है।
राजनीति व रणनीति में भी वे कुशल है। तुलसीदास जी रामायण में लिखते हैं कलियुग में भी हनुमान जी जीवंत रहेंगे और उनकी कृपा से ही उन्हें श्रीराम और लक्ष्मण जी के साक्षात दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्हें सीताराम जी से आशीर्वाद स्वरूप अजर अमर होने का वर प्राप्त है।
रामचरितमानस में महाकवि तुलसीदास सुंदरकांड में लिखते हैं कि मां सीता ने हनुमानजी को आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘हे पुत्र तुम सदैव अजर और अमर रहोगे। तुम्हारे भीतर गुणों का सागर है। तुम अपने परम प्रिय श्रीराम के निकट और उनके प्रिय रहकर उनकी सेवा करते रहोगे।
मां जानकी के श्रीमुख से यह आशीर्वाद पाकर अति प्रसन्न हनुमान जी बार-बार देवी सीता के चरणों में सिर झुकाते हैं और हाथ जोड़कर उनसे कहते हैं, 'हे माता, अब मेरा जीवन धन्य हो गया। आपका आशीष से कभी नष्ट नहीं होता, यह जगत विख्यात है।"
गोस्वामी तुलसीदास सुन्दरकाण्ड में लिखते हैं, ‘चारों जुग प्रताप तुम्हारा’ यानि सतयुग से लेकर कलयुग तक हनुमानजी ही इस धरा पर साक्षात विराजमान हैं। कहते हैं कि जब श्रीराम बैकुण्ठ गमन किये तो हनुमान जी ने अपना निवास पवित्र गंधमादन पर्वत को बनाया और वो आज भी वहीं निवास करते हैं। इस बात की पुष्टि श्रीमद् भगावत् पुराण में भी की गई है।
पुराणों के अनुसार गंधमादन पर्वत भगवान शिव के निवास कैलाश पर्वत के उत्तर में अवस्थित है। इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तप किया था। हनुमान जी के अतिरिक्त यहां गंधर्व, किन्नरों, अप्सराओं और सिद्घ ऋषियों का भी निवास है। माना जाता है की इस पहाड़ की चोटी पर किसी वाहन द्वारा जाना असंभव है। सदियों पूर्व यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था लेकिन वर्तमान में यह क्षेत्र तिब्बत की सीमा में है।
हनुमान जी द्वापर में भी मौजूद रहे हैं। उनकी मुलाकात भीम से हुई थी, जब भीम ने उन्हें आम वानर समझा, लेकिन जब उनकी पूंछ को हिला भी नहीं पाए। तब भीम को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसके अलावा बजरंगबली ने पूरे महाभारत के 18 दिनों के युद्ध में अर्जुन के रथ ध्वज को पकड़कर रखा, जिसके कारण कोई भी उनके रथ को हिला नहीं पाया।
13 वीं शताब्दी में माधवाचार्य, 16 वीं शताब्दी में तुलसीदास, 17 वीं शताब्दी में राघवेंद्र स्वामी तथा 20 वीं शताब्दी में रामदास जैसे अपने विद्वान महर्षियों द्वारा दावा किया गया है कि उन्हे हनुमान जी के सक्षात दर्शन हुए। भक्तो की ऐसा मानना है आज भी जहां कहीं रामायण पढ़ी या सुनी जाती है, वहां हनुमान होते प्रगट होते हैं।