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हज यात्रा समापन की ओर, जानें हज से जुड़ीं 8 जरूरी बातें

By उस्मान | Updated: August 10, 2019 17:08 IST

इस्लाम के कुल पांच स्तम्भ होते हैं जिनमें तौहीद, नमाज, रोजा, जकात और हज आते हैं। मुस्लिम समुदायों के लिए यह पांच स्तम्भ काफी मायने रखते हैं। जिसे पूरा करने मुस्लिम समुदाय से अपेक्षा की जाती है। 

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सऊदी अरब में हज यात्रा समापन की ओर बढ़ रही है। शनिवार को 20 लाख से अधिक हाजी अराफात के पवित्र पहाड़ पर जमा हुए। इस अरकान को हज यात्रा के समापन का संकेत माना जाता है। शनिवार तड़के भारी तादाद में हाजी पहाड़ से गुजरे, जहां लगभग 1,400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद साहब ने मुसलमानों के बीच समानता और एकता को लेकर अपना आखिरी प्रवचन दिया था। दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक हज के दूसरे दिन को हाजियों के लिये बेहद अहम और यादगार माना जाता है। इस दिन दुनियाभर के हाजी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं और अल्लाह से दया और आशीर्वाद मांगते हैं।  

मुस्लिम समुदाय में हज यात्रा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सऊदी अरब का मक्का शहर में काबा को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। इस्लाम का यह प्राचीन धार्मिक अनुष्ठान दुनिया भर के मुस्लमानों के लिए काफी अहम होता है। इस साल 22 अगस्त को पड़ने वाली बकरीद पर भी उम्मीद जताई जा रही है कि 20 लाख लोग हज यात्रा के लिए सऊदी अरब पहुंच सकते हैं। आज हम आपको मुस्लिम समुदाय की इसी पवित्र यात्रा के बारे में कुछ रोचक जानकारियां बताने जा रहे हैं। आप भी जानें क्या है हज यात्रा की खास बात। 

1. इस्लाम के कुल पांच स्तम्भ होते हैं जिनमें तौहीद, नमाज, रोजा, जकात और हज आते हैं। मुस्लिम समुदायों के लिए यह पांच स्तम्भ काफी मायने रखते हैं। जिसे पूरा करने मुस्लिम समुदाय से अपेक्षा की जाती है। 

2. मुस्लमानों में जो भी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं उनसे उम्मीद की जाती है कि वह जीवन में एक बार हज यात्रा जरूर करें। 

3. हज यात्रा के महत्व की बात करें तो मुस्लिम समुदायों की बीच एक मान्यता काफी प्रचलित है कि हज यात्रा से अतीत तक के पापों को मिटाया जा सकता है। माना यह जाता है कि हज यात्रा से पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। 

4. जो लोग हज जाने का खर्च नहीं उठा पाते उनकी मदद धार्मिक नेता या संगठन करते हैं। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो अपने जीवन भर की कमाई को थोड़ा-थोड़ा बचाकर हज यात्रा के लिए रखते हैं। 

5. दुनिया का कुछ हिस्सा ऐसा भी है जहां से लोग हजारों मील की दूरी से पैदल चलकर मक्का का सफर पूरा करते हैं। 

6. हज के इतिहास की बात करें तो मुस्लमानों का मानना है कि पैगंबर अब्राहम ने अपनी पत्नी हाजिरा और बेटे इस्माइल को फलस्तीन से अरब लाने का निर्देश दिया ताकि उनकी पत्नी सारा की ईर्ष्या से उन्हें बचाया जा सके। अल्लाह ने पैंगबर अब्राहम से उन्हें अपनी किस्मत पर छोड़ देने के लिए कहा। 

7. उन दोनों को ही खाने की कुछ चीजें और थोड़ा पानी दिया। कुछ दिनों बाद ही सारा सामान खत्म हो जाना था। हाजिरा और इस्माइल अब भूख और प्यास से बेहाल हो गए। मायूस हाजिरा सफा और मारवा पहाड़ी से मदद की जाहत में नीचे उतरीं। उन्होंने अल्लाह से गुहार लगाई। इसी बीच इस्लाम ने जमीन पर पैर पटका तो धरती के भीतर से पानी का सोता फूट पड़ा और दोनों की जाने बच गई। 

8. हाजिरा ने अब पानी को सुरक्षित किया और खाने के सामान के बदले पानी का व्यापार शुरू कर दिया। जब पैंगबर लौटे तो उन्होंने अपने परिवार को खुश देखकर अल्लाह का एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा। अब्राहम और इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा सा घर बनाकर घनाकार निर्माण किया। जिसे आज काबा कहा जाता है। 

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