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गुरु पूर्णिमा 2018: आषाढ़ की पूर्णिमा ही क्यों है गुरु पूर्णिमा, जानें महत्व

By गुलनीत कौर | Updated: July 26, 2018 07:04 IST

Guru Purnima 2018 History and Importance of Guru Purnima: बौद्ध धर्म के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने पहली बार लोगों को धर्मापदेश दिया था।

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हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को 'गुरु पूर्णिमा' के नाम से जाना जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई 2018 को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भारतवर्ष के सबसे बड़े विद्वान महर्षि वेद व्यास का जन्म इसीदिन हुआ था। यूं तो भारतीय इतिहास में कई बड़े विद्वान रहे, किन्तु महर्षि वेद व्यास का धर्म के प्रति सबसे अधिक योगदान रहा है। इन्होंने ही सबसे पहले चारो वेदों की व्याख्या की थी। 

गुरु पूर्णिमा मनाने के 3 बड़े कारण

1. हिन्दू धर्म के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए हिन्दू अनुयायी इसे महर्षि वेद व्यास को सम्मानित करते हुए उनके जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।

2. बौद्ध धर्म के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने पहली बार लोगों को धर्मापदेश दिया था। बोधगया से उत्तर प्रदेश के सारनाथ में आने के पश्चात पहली बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा की रात ही उन्होंने लोगों में अपने धार्मिक उपदेशों का वितरण किया था।

3. एक पौराणिक कथा के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर ही भगवान शिव ने पहली बार सप्तऋषियों को 'योग' की सीख दी थी। शिव भक्तों के लिए यह दिन खास है।

यह भी पढ़ें: 27 जुलाई को लगने वाला है सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण, जानें आपकी राशि पर क्या पड़ेगा असर

आषाढ़ पूर्णिमा ही क्यों है गुरु पूर्णिमा?

आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर अकसर आकाश काले घने बादलों से घिरा रहता है और चंद्रमा के दर्शन कम होते हैं। ऐसे में हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर ही अपने गुरु को सम्मानित करने का दिन क्यों माना गया है? जबकि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण रोशनी के साथ आकाश में चमकता है, इसदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में क्यों नहीं मना जाता? 

इसके पीछे हिन्दू धर्म हमें आध्यात्मिक कारण देता है। दरअसल आकाश में चंद्रमा को गुरु और उसके आसपास के काले घने बादलों को अज्ञानी शिष्यों का रूप माना गया है। शरद पूर्णिमा के दिन आसमान में चांद अकेला होता है। इसलिए कहा जाता है कि जब शिष्य (काले घने बादल) ही ना हों तो गुरु (चांद) का क्या अस्तित्व है। इसलिए आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन ही शिष्य अपने गुरु का अभिनंदन करते हैं।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, सत्य नारायण व्रत और भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। इन कारणों से इसदिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। 

टॅग्स :गुरू-पूर्णिमापूर्णिमाहिंदू त्योहार
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