Gayatri Jayanti 2022 Date: गायत्री जयंती कब है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: June 5, 2022 14:34 IST2022-06-05T14:34:17+5:302022-06-05T14:34:17+5:30

Gayatri Jayanti 2022 Date: गायत्री जयंती कब है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व
Gayatri Jayanti 2022: गायत्री जयंती मां गायत्री का जन्मोत्सव है। हर साल ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। इस साल गायंत्री जयंती का त्योहार 11 जून, शनिवार को गायत्री जयंती मनाई जाएगी। इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी रखा जाता है। गायत्री जयंती के दिन विधि- विधान से गायत्री माता की पूजा- अर्चना की जाती है।
हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में मां गायत्री को वेद माता के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र बताया गया है जो हर समस्या को हर लेता है। गायत्री मंत्र का पाठ बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को करना चाहिए जिसे बेहद शुभ माना जाता है। मां गायत्री ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की आराध्य हैं।
गायत्री जयंती मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 10, 2022 को प्रातः 07:25 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - जून 11, 2022 को प्रातः 05:45 बजे
कौन हैं मां गायत्री ?
मां गायत्री को प्रज्ञा की देवी कहा जाता है। व्यक्ति के अंदर विवके को जागृत करती हैं। मां गायत्री ही आपके अच्छे और बुरे का ज्ञान करवाती हैं। मां के स्वरूप की बात करें तो इनके एक हाथ में पुस्तक और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। मां गायत्री को देवी सरस्वती, पार्वती और मां लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है।
गायत्री जयंती का महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार माता गायत्री ने ही चारों वेदों, पुराणों और श्रुतियों की उत्पत्ति की इसलिए उन्हें वेदमाता के नाम से पुकारा जाता है। गायत्री जयंती के दिन लोग गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। साथ ही माता गायत्री की पूरे-विधि विधान से पूजा करते हैं। बताया जाता है कि सबसे पहले गायत्री मंत्र का पाठ ब्रह्मा जी के मुख से हुआ था। गायत्री मंत्र का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। बताया जाता है कि ये मंत्र आपको हर तरह की मुसीबत से बचा लेते हैं। इसलिए गायत्री मंत्र का जाप इंसान को अवश्य करना चाहिए।
गायत्री जयंती पर करें ये उपाय
गायत्री मन्त्र का जप करके हवन करें।
सूर्य पूजा करें।
श्री आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
अन्न का दान करें।
गुड़ और गेहूं का दान करें।
पवित्र नदी में स्नान करें।
धार्मिक पुस्तक का दान करें।
इस दिन लोगों को शीतल जल पिलायें।
फलाहार व्रत रहें।