चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला गणगौर तीज उत्सव आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन कुंवारी लड़कियां अच्छे पति और विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। गणगौर राजस्थान के प्रमुख पर्व है, जिसे पूरी श्रद्धा एवं परंपरा के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी गणगौर मनाने की परंपरा है।
गणगौर पूजना का शुभ समय
राजस्थान में यह त्योहार 16 दिनों का होता है। इस बार यानी 2020 में गणगौर पूजा का समापन राजस्थान में आज यानि 27 मार्च को हो रहा है। वहीं, पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 10 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 10 बजकर 09 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक होगा। शुक्ल की तृतीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च को शाम 7 बजकर 53 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 27 तारीख को रात 10 बजकर 12 मिनट पर होगा।
होली के दिन से त्योहार की शुरुआत
राजस्थान में जब महिलाएं शादी के बाद होली में मायके में आती हैं तो बड़े धूमधाम इस पर्व को मनाकर सुहाग के जीवन की मंगलकामना करती हैं। गणगौर में पारंपिक गीतों के साथ ईसर (शिव) और मां पार्वती का पूजन किया जाता है। धुलंडी के दिन होली की राख से सोलह गणगौर बनाकर सोलह दिन तक पूजा की जाती है। इसके बाद चैत्र मास की तृतिया तिथि को प्रतिमाओं को तालाब में विसर्जन करने की मान्यता है। अगर आप कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से बाहर नहीं जा पा रहे हैं तो घर के ही किसी कोने में छोटा सा कुंड बनाकर प्रतिमाओं को विसर्जित कर सकती हैं।
गणगौर की पौराणिक मान्यता
एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया था। वहीं, माता पार्वती ने सभी सुहागन स्त्रियों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। महिलाएं ये पूजा अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं।
महिलाएं गुप्त रूप से रखती हैं उपवास
महिलाएं पूरे गणगौर पूजा के दौरान उपवास रखती हैं। खास बात ये है कि इसे वे गुप्त तौर पर रखती हैं और किसी को इस बारे में नहीं बताया जाता है।