Ganesh Visarjan 2019: अनंत चतुर्दशी के मौके पर आज गणेश विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव का समापन आज हो जाएगा। यह उत्सव हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है और चतुर्दशी तक जारी रहता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश की विशेष महत्ता है। मान्यता है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके बाद ही किसी और देवी-देवता की पूजा का विधान है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी हिंदुओं के कुछ सबसे बड़े त्योहार में शामिल है।
बहरहाल, गणपति विसर्जन के बाद अब भक्तों को अगले साल का इंतजार रहेगा जब एक बार फिर बप्पा वापस लौटेंगे। आप भी गणपति विसर्जन की तैयारी में जुटे होंगे। ऐसे में विसर्जन से पहले इस मौके पर आप भी भगवान गणेश की पूजा के बाद उनकी ये आरती जरूर पढ़ें...
Ganesh ji Ki Aarti: भगवान गणेश जी की आरती...
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी, माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा।जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
अन्धे को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवाजय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
Ganesh ji Ki Aarti: गणेश जी की दूसरी आरती- 'जय देव, जय देव'
जय देव, जय देव,जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्तिदर्शनमात्रे मन कामनापुर्तिजय देव, जय देवरत्नखचित फरा तूज गौरीकुमराचंदनाची उटी कुंकुम केशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥जय देव, जय देवजय देव, जय देवजय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्तिदर्शनमात्रे मन कामनापुर्तिजय देव, जय देवलंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षाव।।जय देव, जय देवजय देव, जय देवजय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्तिदर्शनमात्रे मन कामनापुर्तिजय देव, जय देव
घालीन लोटांगण, वंदिन चरण।डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे।प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिनभावें ओवालिन म्हाणे नामा।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्व मम देवदेव॥
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वाबुद्धात्माना वा प्रकृतिस्वभावातकरोमि यद्यत सरलं परस्मैनारायणायेति समर्पयामि।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं,कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥
हरे राम हरे रामराम राम हरे हरे।हरे कृष्णा हरे कृष्ण,कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
हरे राम हरे रामराम राम हरे हरेहरे कृष्ण हरे कृष्णकृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।।जय देव, जय देवजय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्तिदर्शनमात्रे मन कामनापुर्तिजय देव, जय देव।।