गणेश चतुर्थीः बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के लिए इस विधि से करें विघ्नहर्ता की पूजा

By गुणातीत ओझा | Updated: August 20, 2020 17:38 IST2020-08-20T17:38:07+5:302020-08-20T17:38:07+5:30

विघ्नहर्ता, प्रथमपूज्य, एकदन्त भगवान श्री गणेश को ऐसे कई नामों से जाना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत करनी हो या फिर किसी विघ्न को दूर करने की प्रार्थना करनी हो, गजानन सबसे पहले याद आते हैं।

ganesh chaturthee buddhi samrddhi aur saubhaagy ke lie is vidhi se karen vighnaharta kee pooja | गणेश चतुर्थीः बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के लिए इस विधि से करें विघ्नहर्ता की पूजा

ganesh chaturthi 2020

Highlightsविघ्नहर्ता, प्रथमपूज्य, एकदन्त भगवान श्री गणेश को ऐसे कई नामों से जाना जाता है।किसी भी शुभ काम की शुरूआत करनी हो या फिर किसी विघ्न को दूर करने की प्रार्थना करनी हो, गजानन सबसे पहले याद आते हैं।

विघ्नहर्ता, प्रथमपूज्य, एकदन्त भगवान श्री गणेश को ऐसे कई नामों से जाना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत करनी हो या फिर किसी विघ्न को दूर करने की प्रार्थना करनी हो, गजानन सबसे पहले याद आते हैं। कोई भी सिद्धि हो या साधना, विघ्नहर्ता गणेशजी के बिना सम्पूर्ण नहीं मानी जाती। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषविद् एवं कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि गणपति बप्पा का जन्मदिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इसे या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त, शनिवार को है। इस दिन घर-घर में भगवान गणेश की प्रति स्थापित की जाएगी और अगले दिन तक प्रथम पुज्य भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। कोरोना काल के कारण इस बार सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, मंदिरों में भी सीमित संख्या में भक्तों को फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दर्शन की अनुमति होगी।

10 दिनों तक गणपति की आराधना करने के पश्चात 01 सितंबर दिन मंगलवार को गणपति बप्पा को विसर्जित कर दिया जाएगा। उस दिन अनंत चतुर्दशी है। कोरोना महामारी के कारण इस बार का गणेशोत्वस बिल्कुल अलग होने जा रहा है। भक्तों से अपील की जा रही है कि वे सार्वजनिक कार्यक्रम करने के बजाए अपने घरों में ही गणेशोत्सव मनाएं।

गणेश चतुर्थी को लेकर राज्य सरकारों ने गाइडलाइन जारी करना शुरू कर दिया है। तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए लोगों को अपने घर पर विनायक चतुर्थी मनाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ राज्य की सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों में मूर्तियों की स्थापना और जल में मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए रैली की अनुमति नहीं है।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश के रूप में विष्णु शिव-पार्वती के पुत्र के रूप में जन्मे थे। उनके जन्म पर सभी देव उन्हें आशाीर्वाद देने आए थे। विष्णु ने उन्हें ज्ञान का, ब्रह्मा ने यश और पूजन का, शिव ने उदारता, बुद्धि, शक्ति एवं आत्म संयम का आशीर्वाद दिया। लक्ष्मी ने कहा कि जहां गणेश रहेंगे, वहां मैं रहूंगी।’ सरस्वती ने वाणी, स्मृति एवं वक्तृत्व-शक्ति प्रदान की। सावित्री ने बुद्धि दी। त्रिदेवों ने गणेश को अग्रपूज्य, प्रथम देव एवं रिद्धि-सिद्धि प्रदाता का वर प्रदान किया। इसलिये वे सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक लोकप्रियता वाले देव हैं।

भगवान श्रीगणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं। उनके जन्म का उत्सव दस दिनों तक उत्साह से मनाया जाता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। माना जाता है कि भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ, इसीलिए मध्याह्न के समय को श्रीगणेश की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है। प्राचीन काल में बच्चों का विद्या अध्ययन इसी दिन से प्रारंभ होता था। इस दिन विधि-विधान से श्रीगणेश का पूजन करें। उन्हें वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में मोदक अर्पित करें। इस दिन चंद्रमा के दर्शन को निषिद्ध किया गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात्रि चंद्रमा को देखते हैं उन्हें मिथ्या कलंक भोगना होता है। कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण पर कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। ऋषि नारद के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया और मिथ्या दोष से मुक्त हुए। चंद्रमा को अपनी सुंदरता पर अभिमान था। एक दिन श्रीगणेश को देख चन्द्रमा ने उनका उपहास कर दिया। इससे श्रीगणेश कुपित हो गए और श्राप दे दिया कि जो भी चंद्रमा को देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। चंद्रमा अपनी कलाओं से रहित हो जाएगा। बाद में चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने चंद्रमा को उनकी कलाओं से युक्त कर दिया और केवल एक दिन के लिए उन्हें दर्शन किए जाने के अयोग्य रहने दिया।

गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा को लोग अपने घर जाते हैं और उनकी स्थापना कर विधि-विधान से पूजा करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी की स्थापना विधि-विधान से नहीं करने पर विराजमान नहीं होते हैं और न ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

गणेश चतुर्थी मुहूर्त्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त  11:06:04 से 13:39:41 तक
अवधि रू 2 घंटे 33 मिनट

गणेश चतुर्थी स्थापना विधि 
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करके भगवान गणेश की मूर्ति लानी चाहिए। चौकी को गंगाजल से साफकर उसपर लाल या हरे रंग का साफ वस्त्र बिछाएं।.कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत रखें और अक्षत के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें। भगवान गणेश को जनेऊ धारण कराएं और बाएं ओर अक्षत रखकर कलश स्थापना करें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं।कलश में आम के पत्ते और नारियल पर कलावा बांधकर कलश पर रखें। कलश स्थापना के बाद गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करने के बाद उन्हें पंचमेवा और मोदक का भोग लगाएं। भगवान गणेश को फूल-माला, रोली आदि अर्पित करें। गणपति जी का अब रोली से तिलक करें। तिलक करने के बाद गणेश जी के सामने अखंड दीपक जलाएं और यह दाईं ओर रख दें। अब भगवान गणेश की आरती उतारें।

इन बातों का रखें ध्यान
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि गणपति बप्पा की स्थापना हमेशा पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है। भगवान गणेश की स्थापना भूलकर दक्षिण और दक्षिण पश्चिम में नहीं करनी चाहिए। घर या ऑफिस में भगवान गणेश की एक साथ दो मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से ऊर्जा का आपस में टकराव होता है। जिससे धन हानि होती है। भगवान गणेश की स्थापना के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति का मुख दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि भगवान गणेश के मुख की ओर सौभाग्य, सिद्धि और सुख होता है। भगवान गणेश के सामने अखंड ज्योति विसर्जन वाले दिन तक जलाए रखनी चाहिए।

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