आज शुक्रवार को करें मां लक्ष्मी के इन 10 मंत्रों का जाप, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी
By गुणातीत ओझा | Published: September 18, 2020 01:12 PM2020-09-18T13:12:29+5:302020-09-18T13:12:29+5:30
मां लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा करने वाले उपासक को शुभ फल प्राप्त होता है। लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं।
Lakshmi Pooja:मां लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा करने वाले उपासक को शुभ फल प्राप्त होता है। लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं। पार्वती और सरस्वती के साथ, वह त्रिदेवियों में से एक हैं और धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। जिनका उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद के श्री सूक्त में मिलता है। मां लक्ष्मी सबपर मेहरबान नहीं होतीं। उन्हें खुश करने के लिए कठिन साधना करनी पड़ती है। शास्त्रों के मुताबिक शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का होता है। शुक्रवार की शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करने वालों पर मां कृपा बरसातीं हैं। मान्यता है कि शुक्रवार को विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
आइए आपको बताते हैं देवी लक्ष्मी के कुछ मंत्र और आरती-
लक्ष्मी मंत्र: 1
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
श्री लक्ष्मी मंत्र : 2
ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम: ममा लक्ष्मी
नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरु-कुरु
सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:।
महामंत्र : 3
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।।
महामंत्र : 4
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
महामंत्र : 5
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
महामंत्र : 6
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह नम: महालक्ष्म्यै
धरणेंद्र पद्मावती सहिते हूं श्री नम:।
महामंत्र : 7
ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट
महामंत्र : 8
ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम
महामंत्र : 9
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
लक्ष्मी प्राप्ति का 10वा मंत्र
ॐ श्रीं श्रियै नमः
महालक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता.
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता.
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता.
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता .
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता .
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता.
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता.
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता.
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता.
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता.
उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता.
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता.
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥