Chaitra Navratri 7th Day: जब राक्षस ने कैलाश पर्वत पर किया था हमला, देवी ने कालरात्रि रूप में लिया था अवतार-पढ़ें पौराणिक कथा
By मेघना वर्मा | Published: March 31, 2020 08:53 AM2020-03-31T08:53:02+5:302020-03-31T08:53:02+5:30
मान्यता है कि कालरात्रि माता को गहरा नीला रंग बेहद ही पसंद है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं।
आज नवरात्रि का सातवां दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के कालरात्रि रूप का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन भक्त मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा और व्रत करता है तो उसके जीवन के सभी अंधकार कम हो जाते हैं। देवी कालरात्रि को माता पार्वती का ही रूप माना गया है।
कालरात्रि देवी के नाम का मतलब है- काल यानी मृत्यु और और रात्रि का मतलब है कि रात अर्थात् अंधेर को खत्म करने वाली देवी। हम कह सकते हैं कि इस देवी की पूजा करने से हमेशा जीवन प्रकाशमय हो जाता है। आइए आपको बताते हैं मां कालरात्रि के स्वरूप और उनकी पूजा विधि और पौराणिक कथा-
कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं। इस देवी की चार भुजाएं, जिसकी दोनों दाहिने हाथ में अभय और वर मुद्रा में है, जबकि बाएं दोनों हाथ में क्रमश तलवार और अडग है।
देवी कालरात्रि के पीछे एक पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं में कहा जाता कि देवी पार्वती दुर्गा में परिवर्तित हो गई। दुर्गासुर नामक राक्षस शिव-पार्वती के निवास स्थान कैलाश पर्वत पर देवी पार्वती की अनुपस्थिति में हमला करने की लगातार कोशिश कर रहा था। उससे निपटने के लिए देवी पार्वती ने कालरात्रि को भेजा।
तब देवी ने अपने आप को भी और शक्तिशाली बनाया और शस्त्रों से सुसज्जित हुईं। उसके बाद जैसे ही दुर्गासुर ने दोबारा कैलाश पर हमला करने की कोशिश की, देवी ने उसको मार गिराया। इसी कारण उन्हें दुर्गा कहा गया।
ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
1. सुबह स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें।
2. लाल रंग के आसन पर विराजमान होकर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं।
3. हाथ में स्फटिक की माला लें।
4. नीचे दिए हुए मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
5. इसके बाद देवी की कथा पढ़ें।
6. विधि-विधान से पूजा और आरती के बाद ही प्रसाद का वितरण करें।
मान्यता है कि कालरात्रि माता को गहरा नीला रंग बेहद ही पसंद है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।