लाइव न्यूज़ :

Chaitra Krishna Paksha Ekadashi: आज है पापमोचनी एकादशी, इसके व्रत से मिलता है हजार गायों का दान करने जितना पुण्य, जानिए इसका माहात्म्य

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 5, 2024 07:04 IST

आज चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस दिन पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। सबसे पहले मंजूघोषा अप्सरा फिर महर्षि मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया था।

Open in App
ठळक मुद्देचैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भक्तों द्वारा पापमोचनी एकादशी व्रत भी किया जाता हैसबसे पहले मंजूघोषा अप्सरा फिर महर्षि मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया थाभगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करना चाहिए और "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए

Chaitra Krishna Paksha Ekadashi: आज चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस दिन पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। सबसे पहले मंजूघोषा अप्सरा फिर महर्षि मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत के बारे में लोमश ऋषि ने राजा मांधाता को बताया था। उसके बाद श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इसका महत्व समझाया। कथा के मुताबिक इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

इस एकादशी व्रत में विधि-विधान से भगवान लक्ष्मी-नारायण की पूजा होती है। इस दिन भगवान कृष्ण का अभिषेक के साथ "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है। वैसे इस व्रत का नियम दशमी तिथि की रात से शुरू हो जाता है।

व्रत के नियम के अनुसार जातक को दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके बाद शुद्ध मन से भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। दशमी तिथि की रात में ही मन में ये संकल्प लेकर सोना चाहिए कि अगले दिन पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी का व्रत करेंगे। अगले दिन एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद संकल्प लेकर व्रत शुरू करना चाहिए।

भगवान विष्णु की पूजा विधि

सबसे पहले भगवान गौरी-गणेश की पूजा कर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र जपते हुए पूरी पूजा करें। भगवान विष्णु को शुद्ध जल, दूध-दही, पंचामृत से स्नान करवा कर वस्त्र चढ़ाएं।

उसके बाद श्रीहरि को मौली, चंदन, अक्षत, अबीर-गुलाल, फूल, माला, जनेऊ और अन्य पूजन सामग्री भावपूर्वक अर्पित करें। पीले रंग की मिठाई का भोग लगाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करें। पूजा के अंत में आरती करें और श्रीहरि के भक्तों में प्रसाद बांटें।

एकादशी से जुड़ी कथा और महत्व

मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी व्रत को करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। इस व्रत से तकलीफ भी दूर होती हैं। जाने-अनजाने में किए पाप खत्म होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक एक समय मेधावी नामक ऋषि की तपस्या भंग करने के कारण मंजूघोषा नामक अप्सरा को पिशाचिनी बनने का श्राप मिला था।

लेकिन बाद में मंजूघोषा के पश्चाताप पर श्राप के निवारण के लिए ऋषि ने उसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पापमोचिनी एकादशी व्रत करने का उपाय बताया था। उस एकादशी का उपवास करने से मंजूघोषा पिशाचिनी की देह से मुक्त हुई थी।

टॅग्स :भगवान विष्णुअध्यात्महिन्दू धर्मधार्मिक खबरेंधर्म
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

भारतअसमः एक से ज्यादा शादी किया तो जुर्म?, मुख्यमंत्री हिमंत ने कहा- धर्म से परे और इस्लाम के खिलाफ नहीं?, जानें क्या है कानून

भारत'बिना हिंदुओं के दुनिया नहीं रहेगी...', RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में किया बड़ा दावा

भारतVIDEO: बागेश्वर बाबा की पदयात्रा में जया किशोरी भी शामिल, देखें वायरल वीडियो

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार