Chaitra Amavasya 2022: कब है चैत्र अमावस्या, जानें तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: March 26, 2022 02:28 PM2022-03-26T14:28:03+5:302022-03-26T14:28:03+5:30
इस साल चैत्र अमावस्या 1 अप्रैल शुक्रवार को है। चैत्र अमावस्या के दिन इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। पहले ब्रह्म योग और फिर बाद में इंद्र योग का निर्माण होगा।
Chaitra Amavasya 2022: हिन्दू धर्म में चैत्र अमावस्या को पितृदोष से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चैत्र अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। इस दिन पितरों को तर्पण करने की भी परंपरा है। इस साल चैत्र अमावस्या 1 अप्रैल शुक्रवार को है। चैत्र अमावस्या के दिन इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं। पहले ब्रह्म योग और फिर बाद में इंद्र योग का निर्माण होगा। वहीं रेवती नक्षत्र के साथ ही सर्वाथ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग भी बनेगा।
चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 31 मार्च को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त - 01 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 53 मिनट तक
ब्रह्म योग - प्रात: 09 बजकर 37 मिनट तक
इंद्र योग - 10 बजकर 40 मिनट तक
सर्वाथ सिद्धि योग अमृत सिद्धि योग -
चैत्र अमावस्या पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
यदि घर पर स्नान कर रहे हैं तो नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए।
सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए।
इसके बाद अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, घी आदि का दान करना चाहिए।
गाय को खाना खिलाना चाहिए।
पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए।
तत्पश्चात दान-पुण्य के कार्य करना चाहिए।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र अमावस्या, काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी खास मानी जाती है। इस दिन काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए चांदी के नाग-नागिन की पूजा की जाती है। इसके बाद उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसके साथ ही गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के जाप भी किए जाते हैं। इसके अलावा त्र्यंबकेश्वर नासिक या उज्जैन आदि तीर्थ क्षेत्र में सर्प पूजा कराने से कास सर्प दोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है।